
दिल्ली, सत्यकेतन समाचार| रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को कहा है कि कोरोनावायरस की महामारी का असर देश के भविष्य पर काली छाया की तरह मंडराता रहेगा और लॉकडाउन का असर सीधे तौर पर देश की आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा. अनुमान के अनुसार, कोविड-19 की महामारी के कारण वैश्विक उत्पादन, सप्लाई, व्यापार और पर्यटन पर विपरीत असर पड़ेगा .केंद्रीय बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट (Monetary Policy Report) में यह बात कही है. आरबीआई की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब कोरोना वायरस की महामारी के कारण देश में लागू किया गया 21 दिन का लॉकडाउन 16वें दिन में प्रवेश कर चुका है. कोविड-19 के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप हैं. पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था पर इसका और असर पड़ेगा.
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आरबीआई ने कहा है कि कोरोनोवायरस प्रकोप ने देश की अर्थव्यवस्था में रिकवरी की संभावनाओं को बुरी तरह से प्रभावित किया है. COVID-19 के फैलने से पहले, 2020-21 को ग्रोथ के दृष्टिकोण को देखा जा रहा था लेकिन COVID-19 की महामारी ने इस धारणा को बदल दिया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह COVID-19 की तीव्रता, प्रसार और इसकी अवधि को लेकर स्थिति का आकलन कर रहा है. कोरोना वायरस के कारण लागू किए गए लॉकडाउन और वैश्विक गतिविधियों में आई सुस्ती निश्चित रूप से देश की आर्थिक विकास दर पर भारी पड़ेगी. आरबीआई ने कहा कि कोरोनोवायरस का प्रकोप मुद्रास्फीति पर प्रभाव डालेगा. आपूर्ति की बाधा के चलते के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आ सकती है जबकि गैर खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. कोरोना वायरस की महामारी के चलते कई अर्थशास्त्रियों ने दुनिया भर में आपूर्ति बाधित होने की चेतावनी दी है,
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस से प्रभावितों की संख्या बढ़ती जा रही है.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में गुरुवार को कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 166 हो गई और संक्रमितों की कुल संख्या 5,734 हो गई है. मंत्रालय ने बताया कि अब भी 5,095 लोग संक्रमित हैं जबकि 472 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है.
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