कैंसर के डर से अभिनेत्री एंजेलिना जॉली ने अपनी दोनों ब्रेस्ट हटवाए

cancer का नाम सुनते ही मन में डर सा लगने लगता है। लेकिन अगर इसके बारे में सही जानकारी हो और शुरुआती स्टेज में ही इसके बारे में पता चल जाए तो कैंसर को मात दी जा सकती है।

cancer क्या है?

हमारे शरीर में कोशिकाओं (सेल्स) का लगातार विभाजन होता रहता है और यह सामान्य-सी प्रक्रिया है, जिस पर शरीर का पूरा कंट्रोल रहता है। लेकिन जब शरीर के किसी खास अंग की कोशिकाओं पर शरीर का कंट्रोल नहीं रहता और वे असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो उसे कैंसर कहते हैं। जैसे-जैसे कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं बढ़ती हैं, वे ट्यूमर (गांठ) के रूप में उभर आती हैं। हालांकि हर ट्यूमर में कैंसर वाले सेल्स नहीं होते लेकिन जो ट्यूमर कैंसर ग्रस्त है, अगर उसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह पूरे शरीर में फैल सकता है।

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कैसे होता है शुरू

कोशिका के जीन में बदलाव से cancer की शुरुआत होती है। जीन में बदलाव अपने आप भी हो सकता है या फिर कुछ बाहरी कारकों, मसलन तंबाकू, वायरस, अल्ट्रावाइलेट रे, रेडिएशन (एक्सरे, गामा रेज आदि) आदि की वजह से भी। अमूमन इम्यून सिस्टम ऐसी कोशिकाओं को खत्म कर देता है, लेकिन कभी-कभार कैंसर की कोशिकाएं इम्यून सिस्टम पर हावी हो जाती हैं और फिर बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है।

ब्रेस्ट कैंसर के लिए BRCA टेस्ट

अगर किसी की मां या बहन को ब्रेस्ट cancer हुआ है तो बेटी या बहन को ब्रेस्ट कैंसर (BRCA) जीन टेस्ट करा लेना चाहिए। यह टेस्ट जींस में किसी तरह की गड़बड़ी है तो उसकी जानकारी देता है। यह टेस्ट करीब 20 हजार रुपये में हो जाता है और जिंदगी में एक ही बार कराना होता है। पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं इसलिए यह कभी नहीं समझना चाहिए कि पुरुषों को यह कैंसर नहीं हो सकता है। अगर किसी पुरुष को उसकी छाती में गांठ या कुछ लिक्विड निकलता हुआ महसूस हो तो डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए।
हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री एंजेलिना जॉली ने स्वस्थ होने के बावजूद अपनी दोनों ब्रेस्ट को ऑपरेशन के जरिए हटवा दिया। दरअसल, जॉली की ब्रेस्ट में BRCA1 कैंसर जीन पाया गया था, जिससे उन्हें 87 फीसदी ब्रेस्ट कैंसर और 50 फीसदी गर्भाशय के कैंसर का खतरा था, ऐसा उसे डॉक्टरों ने बताया था। दरअसल, वर्ष 2007 में गर्भाशय के कैंसर की वजह से उनकी मां का निधन हो गया था। हालांकि बाद में उनके इस निर्णय पर विवाद भी हुआ था कि होने से पहले ही ऑपरेशन करना सही नहीं है।

ये हैं कैंसर के दुश्मन

1. खानपान सही : जब भी आप नेचरल और सामान्य चीजें खाते हैं तो आप भी तंदुरुस्त ही रहते हैं। पैक्ड फूड, प्रिजर्व्ड फूड, फास्ट फूड (जो सामान्य फूड नहीं हैं) आदि में ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं जो दिखने में तो ताजा होती हैं, लेकिन हकीकत में ये बासी होती हैं। इन्हें केमिकल मिलाकर ताजा किया जाता है। ऐसी चीजें न खाएं। साथ ही बिन मौसम फल और सब्जियां भी न लें। नॉनवेज खाने में परहेज करें खासकर रेड एवं प्रोसेस्ड मीट के सेवन से बचें। सेहतमंद फैट चुनें जैसे बटर एवं सैचुरेटेड फैट्स के बजाय ओलिव ऑयल चुनें। ढेर सारा पानी पीएं, इससे कैंसर कारक तत्व यूरीन के साथ बाहर निकलते हैं और कैंसर की आशंका कम हो जाती है।

2. लाइफस्टाइल दुरुस्त: हम बचपन से जिस तरह जीते आए हैं, उसी तरह आगे भी जीना चाहिए। ऐसा न हो कि गांव से या छोटे शहरों आने पर या दूसरों की देखा-देखी अपनी अच्छी आदतों को भी बदल लें। अगर हमें सुबह जल्दी उठने और पार्क या फील्ड में जाने की आदत है तो उसे देर रात तक जागने में न बदलें।

3. मन में चैन: मानसिक शांति की कमी आज सबसे ज्यादा है। लोग तनाव में ही जीना पसंद करने लगे हैं। फेसबुक, वट्सऐप आदि के चक्कर में हम अपना चैन खो देते हैं। ग्रुप में साथ बैठने पर भी लोग आपस में बातें नहीं करते, बस अपने मोबाइल में लगे रहते हैं और इंटरनेट की गुलामी करते हैं। अगर हम अपनी भावनाएं दूसरों से साझा नहीं करते तो हमारे अंदर ऐसे फ्री ऑक्सिडेटिव रेडिकल्स बनने लगते हैं जो धीरे-धीरे शरीर में जमा होने के बाद जीन्स को ही नुकसान पहुंचाते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार cancer से बचना की 3 जरूरी बातें

1. दिनचर्या ठीक करें: सुबह सूरज से पहले जगना, फ्रेश होना, ब्रेक फास्ट, लंच और डिनर समय पर लेना।

2. ऋतुचर्या पर ध्यान: शरीर के लिए सभी 6 ऋतु जरूरी हैं। चाहे वह सर्दी हो गर्मी हो या फिर कोई और। ठंड से बचने के लिए हीटर चलाते हैं। हीटर के करीब लंबे समय तक रहने से शरीर में खून की कमी होती है। इसकी जगह पूरे घर को गर्म करना बेहतर है। इसमें एसी की मदद ले सकते हैं। जब कमरे का तापमान 23 डिग्री से कम होता है, यह सेहत के लिए हािनकारक है। मौसमी फल और सब्जियां ही खाना सबसे बेहतरीन उपाय है।

3. सदव्रत का पालन: पॉजिटिव थिकिंग जरूरी है। चाहे वह अपने बारे में हों या फिर दूसरों के बारे में।

कौन-कौन से टेस्ट

CBC: CBC टेस्ट से कैंसर या दूसरी बीमारी की पुख्ता जानकारी नहीं मिलती, लेकिन आगे बढ़ने का रास्ता जरूर मिल जाता है। इसका खर्च 200-400 रुपये है।

WBC: WBC लगातार नॉर्मल से ज्यादा या कम काउंट रहना। दरअसल, श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर के सैनिक हैं जो बीमारियों से लड़ने में सहायक हैं। सामान्य लोगों के शरीर के 1 क्यूबिक एमएल ब्लड में इनकी संख्या 4 से 11 हजार होती है। अगर किसी के शरीर में ये लगातार 20 हजार से ऊपर रहती हैं तो सचेत होने की जरूरत है।

हीमोग्लोबिन: शरीर में प्राण वायु ऑक्सिजन को ढोने वाला यह लाल पिग्मेंट बहुत काम का है। अगर किसी की उम्र 60 से ज्यादा है तो यह 10 ग्राम प्रति डेसी. से नीचे नहीं रहना चाहिए। 60 से कम उम्र के पुरुषों में 13.8 से 17.2 ग्राम प्रति डेसी. और महिलाओं में 12 से 15 ग्राम प्रति डेसी के बीच रहना चाहिए। अगर इस रेंज से लगातार कम या ज्यादा आ रहा है तो सचेत होना चाहिए।

प्लेटलेट्स: अगर इसकी संख्या 1 लाख से कम हो और यह लगातार 1 महीने से ज्यादा समय से कम रहे। इसकी सामान्य रेंज 1.5 से 4.5 लाख के बीच होनी चाहिए। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि डेंगू आदि में भी प्लेटलेट्स कम होते हैं, लेकिन इतने लंबे समय तक अमूमन कम नहीं रहते।

CT/MRI: सीबीसी जांच के बाद इलाज कराने पर भी अगर रिपोर्ट बार-बार अच्छी नहीं आ रही है तो डॉक्टर सीटी स्कैन या एमआरआई कराने के लिए कहते हैं। CT स्कैन या MRI में करीब 5000-7500 रुपये का खर्च आता है।

PET/CT और PET/MRI: पहले खाली PET (पोजिट्रोन इमिशन ट्रोमोग्राफी) यूज होती थी, जबकि अब PET/CT या PET/MRI भी होती हैं। ये कंबाइंड अप्रोच से काम करती हैं और बेहतर रिजल्ट देती हैं। इनसे पूरी बॉडी की स्कैनिंग हो जाती है। इससे शरीर में कहीं भी कैंसर सेल बढ़ रहे हों तो जानकारी मिल जाती है। PET/CT की कीमत करीब 20,000 रुपये और PET/MRI की कीमत करीब 55,000 रुपये होती है।

बायोप्सी: यह cancer के शक को पुख्ता करने का एक तरीका है। इसमें मरीज के शरीर से एक सैंपल निकाला जाता है। अमूमन वह ट्यूमर हो सकता है। नमूने से पता चलता है कि ट्यूमर में cancer सेल्स हैं या नहीं। इसके कई तरीके हैं: मसलन: खुरचना, छेद करना, सुई बायोप्सी आदि। टेस्ट: 1500 से 5000 रुपये।

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