
- लंदन में 14 साल के बच्चे की मौत
- न्यूयॉर्क लगभग 100 बच्चे बीमार 3 की मौत
- हार्ट अटैक होने की भी संभावना
- शरीर में सूजन
Kawasaki disease: अमेरिका और यूरोपीय देशों में बच्चों को बीमार करने वाली रहस्यमयी बीमारी अब भारत में भी आ चुकी है. कोरोना वायरस से जुड़ी इस रहस्यमयी बीमारी की वजह से कई बच्चे मारे भी गए हैं. सैकड़ों का अभी इलाज चल रहा है. चेन्नई में एक 8 साल का लड़का कोरोना वायरस से जुडें हाइपर-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से बीमार होने वाला पहला केस बन गया है.

इस सिंड्रोम का यह भारत में पहला मामला बन गया है. इस सिंड्रोम से महत्वपूर्ण अंग समेत पूरे शरीर में सूजन होती है, जिसका असर शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर पड़ता है और जान को खतरा हो जाता है. बच्चा चेन्नई के कांची कामकोटि चाइल्ड्स ट्रस्ट अस्पताल में ICU में भर्ती है. कोरोना से संक्रमित इस बच्चे को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था. बच्चे में जहरीले शॉक सिंड्रोम और कावासाकी बीमारी (जिससे रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाती है) के लक्षण मिले थे.
क्या है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम

टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम यानी शरीर में जहरीले त्तवों का उत्पन्न होना और पूरे शरीर में फैल जाना. जिसका असर शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर पड़ता है. एकसाथ कई अंग काम करना बंद कर सकते हैं. बच्चे की जान को खतरा रहता है.
क्या है कावासाकी बीमारी
कावासाकी बीमारी शरीर की रक्तवाहिनियों से जुड़ी बीमारी है, जिसमें रक्तवाहिनी की दीवारों में सूजन होती है और यह सूजन हृदय तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों को कमजोर कर देती है. गंभीर स्थिति में हार्ट फेल्योर या हर्ट अटैक होने की भी संभावना होती है. बुखार के साथ त्वचा पर चकत्ते दिखना, हाथों और गले में सूजन और आंखों का लाल होना इसके लक्षणों में शामिल है.

अस्पताल के मुताबिक पीड़ित बच्चे की गहन देखभाल की गई और दो सप्ताह बाद वो ठीक हो गया. बच्चे में निमोनिया, कोविड-19 कोरोनावायरस, कावासाकी बीमारी और टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण एकसाथ मिले थे. हालांकि बच्चे में कोरोना समेत मिले हाइपर-इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम को कुछ दवाओं (Immunoglobulin and tocilizumab) की मदद से ठीक कर दिया गया.
इससे पहले लंदन में अप्रैल महीने के बीच में दस दिन के अंदर आठ बच्चों में यह बीमारी मिली थी और हाल ही में अमेरिका में कई बच्चों में इसकी पुष्टि हुई है. न्यूयॉर्क में 3 बच्चों की मौत इसी बीमारी से हुई थी और लगभग 100 बच्चे संदिग्ध रूप से इस बीमारी से पीड़ित हैं. वहीं, लंदन में 14 साल के एक बच्चे की इस दुर्लभ बीमारी के चलते मौत हो गई है.
इटली के अस्पतालों ने चेतावनी जारी की है कि इस नई बीमारी की वजह से बच्चों के बीमार पड़ने की दर 30 गुना ज्यादा हो गई है. 18 फरवरी 2020 से लेकर 20 अप्रैल 2020 तक इटली में इस दुर्लभ बीमारी की वजह से 10 बच्चे अस्पताल में भर्ती हो गए. इनमें से 80 फीसदी बच्चों को कोरोना वायरस का संक्रमण भी है. जबकि, 60 फीसदी तो बेहद गंभीर स्थिति में हैं.