Corona Vaccine Covishield: पुणे में हृयूमन ट्रायल के लिए 5 लोगों को दी कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड

Corona Vaccine Covishield: Corona vaccine covishield given to 5 people trial in Pune

Corona Vaccine Covishield: कोरोना वायरस महामारी से निपचने के लिए पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन बनाने में लगी हुई. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी भारत के सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन तैयार कर रही हैं. भारत में यह वैक्सीन कोविशील्ड (AZD1222) के नाम से लॉन्च होगी. पुणे में बुधवार को इसके फेज-2 का हृयूमन ट्रायल शुरू हो गया. दोपहर 1 बजे भारती विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 5 लोगों को इसकी पहली डोज दी गई. इन्हें अगले 2 महीने तक मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा. अगर रिजल्ट अच्छे रहे तो 300 से 350 लोगों यह वैक्सीन दी जाएगी. ट्रायल सफल होता है तो दिसंबर तक वैक्सीन मिलने की उम्मीद है.

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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में वैक्सीन की 1 बिलियन डोज का उत्पादन करने के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश दवा फर्म एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया है.

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मेडिकल जर्नल द लैंसेट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है. इस जानकारी के बाद ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन फ्रंट रनर वैक्सीन की लिस्ट में आगे आ गई है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी कहा है कि AZD1222 नाम की इस वैक्सीन को लगाने से अच्छा इम्यून रिस्पॉन्स मिला है.

ऐसे होती है वैक्सीन की जांच

वायरस की जांच-पड़तालः पहले शोधकर्ता पता करते हैं कि वायरस कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है. प्रोटीन की संरचना से देखते हैं कि क्या इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए उसी वायरस का इस्तेमाल हो सकता है. फिर उस एंटीजन को पहचानते हैं, जो एंटीबॉडीज बनाकर इम्यूनिटी बढ़ा सकता है.

प्री-क्लिनिकल डेवलपमेंटः मनुष्यों पर परीक्षण से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोई टीका या दवा कितनी सुरक्षित है और कारगर है. इसीलिए सबसे पहले जानवरों पर परीक्षण किया जाता है. इसमें सफलता के बाद आगे का काम शुरू होता है, जिसे फेज-1 सेफ्टी ट्रायल्स कहते हैं.

क्लिनिकल ट्रायलः इसमें पहली बार इंसानों पर परीक्षण होता है, इसके भी 3 चरण

पहला चरणः 18 से 55 साल के 20-100 स्वस्थ लोगों पर परीक्षण. इसमें देखा जाता है कि पर्याप्त इम्यूनिटी बढ़ रही है या नहीं.

दूसरा चरणः 100 से ज्यादा इंसानों पर ट्रायल. बच्चे- बुजुर्ग भी शामिल. पता करते हैं कि असर अलग तो नहीं.

तीसरा चरणः हजारों लोगों को खुराक देते हैं. इसी ट्रायल से पता चलता है कि वैक्सीन वायरस से बचा रही है या नहीं. सब कुछ ठीक रहा तो वैक्सीन के सफल होने का ऐलान कर दिया जाता है.

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