
Corona Virus, सत्यकेतन समाचार : कोरोना वायरस का पहला मामला भारत में आए दो महीने हो गए हैं. सरकार का दावा है कि अब भी भारत संक्रमण के तीसरे चरण में नहीं पहुंचा है.
लेकिन ये भी सच है कि कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में अभी तक कम लोगों की जाँच के लिए भारत की आलोचना हो रही है.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने वाले टेस्ट बेहद कम हुए हैं.
यहां प्रति 10 लाख लोगों में महज़ 6.8 लोगों के टेस्ट किए गए हैं, जो दुनिया भर के देशों में सबसे निम्नतम दर है.
शुरुआत में, भारत में केवल उन लोगों के टेस्ट किए गए जो हाई रिस्क वाले देशों की यात्रा से लौटे थे या फिर किसी संक्रमित मरीज़ या मरीज़ का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मी के संपर्क में आए थे.
बाद में सरकार की ओर से कहा गया कि सांस संबंधी गंभीर बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती मरीज़ों की भी जांच होगी.
कोरोना वायरस टेस्टिंग किट
लेकिन संक्रमण का दायरा हर दिन बढ़ता जा रहा है, आशंका जताई जा रही है कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले आने वाले दिनों में और तेज़ी से बढ़ेंगे.
इन सबको देखते हुए बीते गुरुवार को, भारत में दो प्राइवेट लैब्स को कोरोना वायरस टेस्टिंग किट बनाने की मंज़ूरी आईसीएमआर ने दी है.
पुणे की मायलैब डिस्कवरी भारत की पहली ऐसी फ़र्म है जिसे टेस्टिंग किट तैयार करने और उसकी बिक्री करने की अनुमति मिली है.
मायलैब की प्रत्येक किट से 100 सैंपलों की जांच हो सकती है.
इस किट की क़ीमत 1200 रुपये है, जो विदेश से मंगाए जाने वाली टेस्टिंग किट के 4,500 रुपये की तुलना में बेहद कम है.
मायलैब डिस्कवरी की रिसर्च और डेवलपमेंट प्रमुख वायरोलॉजिस्ट मीनल दखावे भोसले ने बीबीसी को बताया, “हमारी किट कोरोना वायरस संक्रमण की जांच ढाई घंटे में कर लेती है, जबकि विदेश से आने वाले किट से जांच में छह-सात घंटे लगते हैं.”
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