Global Wind Day सत्यकेतन समाचार : बहती वायु से उत्पन्न की गई उर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिये हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है, जिनके द्वारा वायु की गतिज उर्जा, यान्त्रिक उर्जा में परिवर्तित हो जाती है। इस यन्त्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
पवन ऊर्जा (wind energy) का आशय वायु से गतिज ऊर्जा को लेकर उसे उपयोगी यांत्रिकी अथवा विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करना है।
पवन ऊर्जा का इतिहास
इसका उपयोग पहली बार स्कॉटलैंड में जुलाई 1887 में किया गया। जिससे विद्युत बनाया गया। इसके बाद इसका उपयोग वहाँ की एक कंपनी ने 1888 से 1900 तक किया। तब इसे डाइनेमो के द्वारा विद्युत बनाने के लिए उपयोग किया जाता था। लेकिन यह केवल कुछ ऊर्जा बनाने के ही कार्य में आता था। इसके उपरांत इसे और भी बड़ा बनाया गया और इससे बैटरी को आवेशित कर बाद में उपयोग के लिए बनाया गया था। जिससे रात में इसका उपयोग किया जा सके और विद्युत की अन्य विधि से भी इसमें लागत कम लगने के कारण भी इसका उपयोग किया जाने लगा। परंतु इसका उपयोग कुछ कम ऊर्जा बनाने के लिए ही किया जा सकता है।
पवन ऊर्जा के लाभ
यह साफ-सुथरी है
वायु का ऊर्जा उत्पादन करने हेतु उपयोग करने में न तो किसी भी प्रकार के प्रदूषण की समस्या, या अम्लीय वर्षा की समस्या, या खानों के अपवाह या विषाक्त प्रदूषक पदार्थो जैसी कोई समस्या है और न ही इसके कारण हेक्टेयरों तक फैली भूमि क्षतिग्रस्त होती है।
यह असमाप्य है
पवन अथवा वायु सुगमता से उपलब्ध है तथा कभी न समाप्त होने वाली है, जब कि जीवाश्मीय ईन्धन सीमित है। सूर्य कीं विकिरित ऊर्जा से पवन ऊर्जा सतत रूप से नवीकृत होती रहती है और इसका दोहन सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
यह सुरक्षित है
पवन ऊर्जा संयत्रों का परिचालन सुरक्षित है। आधुनिक व उन्नत माइक्रोप्रोसेसर्स के प्रयोग से समस्त संयंत्र पूर्णतः स्वचालित हो गए हैं तथा संयंत्र के परिचालन के लिए अधिक श्रमिकों क़ी आवश्यकता भी नहीं रह गई है। निर्माण तथा रखरखाव क़ी दृष्टि से भी यह पूर्णतः सुरक्षित है।
पवन प्रणाली के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है
पवन चालित प्रणाली के लिए तुलनात्मक रूप से कम स्थान की आवश्यकता होती है और इसे हर उस स्थान पर, जहाँ भी वायु की स्थिति अनुकूल हो, लगाया जा सकता है।
इनका शीघ्र निर्माण किया जा सकता है
पवन चक्की श्रृंखलाओं में अनेक अपेक्षाकृत छोटी-छोटी इकाइयां होती हैं। इन्हें सरलता व शीघ्रता से समूहों में बनाया जा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप इनकी योजना बनाने में लचीलापन आ जाता है।
इनमें रखरखाव की कम आवश्यकता होती है
चूँकि यह पवन चालित संयंत्र सरल व परिचालन में आसान होते हैं, अतः अन्य विकल्पों की तुलना में इनके रखरखाव की आवश्यकता कम होती है।
पवन ऊर्जा कम खर्चीली है
चूँकि वायु बिना मूल्य उपलब्ध है, इसलिए इसमें ईंधन के मूल्यों में वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति का भी कोई जोखम नहीं है। इस प्रकार पवन ऊर्जा धन तथा ईंधन दोनों ही रूपों में बचत करती है। अतः पवन ऊर्जा मूल्यप्रभावी है।