Difference सत्यकेतन समाचार : कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता। ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उनके परिणामों का सामना करना पड़ता है। खराब व्यवहार को अपराध या गुनाह कहते हैं और इसके परिणाम को दंड कहा जाता है। जिन व्यवहारों को अपराध माना जाता है

IPC क्या है?
सबसे पहले बात करते हैं IPC यानी इंडियन पेनल कोड (Indian Penal Code)। इसे हिंदी में भारतीय दंड सहिता के नाम से भी जानते हैं और उर्दू में ताज इरात-ए-हिंद कहते हैं। इसका पहला विधि आयोग जिसे अंग्रेजी में फर्स्ट लॉ ऑफ कमीशन भी कहते हैं, 1834 में बनाया गया था। उस वक्त इसके चेयरपर्सन लॉर्ड मैकॉले थे। कुल 511 धाराएं यानी सेक्शंस और 23 अध्याय यानी चेपटर्स IPC में आते हैं। बता दें कि पूरे देश में दाण्डिक संग्रह आईपीसी से बड़ा देश में और कोई दाण्डिक कानून नहीं है।
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CrPC क्या है?
CrPC का पूरा नाम कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (Code of Criminal Procedure, 1973) है। इसे हिंदी में दंड प्रकिया सहिता के नाम से जानते हैं। बता दें कि ये कानून 1973 में पारित हुआ जबकि यह लागू 1 अप्रैल, 1974 को हुआ। बता दें कि जब भी कोई अपराध होता है तब दो प्रक्रियाओं का प्रयोग होता है। पुलिस द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया और दूसरी दूसरे पक्ष के आरोपी के संबंध में होती है।
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IPC और CrPC में अंतर-
दंड के प्रावधानों के बारे में बताना आईपीसी के अंतर्गत आता है। जबकि सीआरपीएफ उन प्रतिक्रियाओं के बारे में बताती है जो आपराधिक मामले की व्याख्या करते हैं। आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत करना साआरपीएफ के काम का हिस्सा है।
इन कानूनों में दो लॉ आते हैं- मैलिक विधि, प्रक्रिया विधि। इनके अंतर्गत सिविल लॉ और क्रिमिनल लॉ हैं। सिविल लॉ को आईपीसी और क्रिमिनल लॉ को सीआरपीसी कहते हैं।
IPC और CrPC कानून क्या कहते हैं-
IPC अपराध की परिभाषा करती है और दण्ड का प्रावधान बताती है यानी it defines offences and provides punishment for it. यह विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को सूचीबद्ध करता है. वहीं CrPC आपराधिक मामले के लिए किए गए प्रक्रियाओं के बारे में बताती है. इसका उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत करना है.