Corona Virus China, सत्यकेतन समाचार : चीनी राष्ट्रपति शी ज़िनपिंग ने 10 मार्च को कोरोना वायरस के पैदा होने वाले इलाके का दौरा किया. यह दौरा इस बात का संकेत था कि देश राष्ट्रीय आपातकाल के सबसे बुरे दौर से उबर चुका है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले लोगों की तादाद हर दिन घट रही है और यह आंकड़ा अब सिमटकर कुछ दर्जन पर आ गया है.
न्यूयॉर्क में काउंसिल ऑन फ़ॉरेन रिलेशंस में ग्लोबल हेल्थ के सीनियर फ़ेलो यानज़ोंग ख़्वान ने बीबीसी को बताया कि चीन के उठाए गए कदम बाकी की दुनिया में लागू करना मुश्किल है.
उन्होंने कहा, “चाहे लोकतांत्रिक हो या ग़ैर-लोकतांत्रिक, कोई भी देश ऐसा नहीं है जो समाज में इतने प्रभावी और समग्र रूप से दखल दे सके. यह किसी भी नज़रिये सेअच्छी चीज नहीं है. यह निराशाजनक है. भले ही कुछ लोकतांत्रिक देशों के नेता चीन के तरीको को अपने यहां लागू करने में दिलचस्पी दिखा रहे हों लेकिन उनके पास ऐसा करने का ताकत और अधिकार नहीं है.”
हालांकि मिलान स्थित विटा सैल्यूट सैन रफ़ाएले में माइक्रोबायॉलजी और वायरॉलजी के प्रोफ़ेसर डॉक्टर रोबर्टो बुरियानी का कहना है कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तानाशाही का होना ज़रूरी नहीं है. यूरोप में इटली ने इस महाद्वीप के अब तक के सबसे सख़्त लॉकडाउन को लागू किया है.
इटली ने अपनी पूरी छह करोड़ की आबादी को लॉकडाउन में डाल दिया है. देश में खाने और फ़ार्मेसी को छोड़कर हर तरह की दुकान बंद है. एक जगह पर लोगों के इकट्ठे होने पर रोक लगा दी गई है और लोगों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जा रही है.
यात्रा कर रहे हर शख़्स को इसका मकसद बताने वाला काग़ज़ साथ लेकर चलना ज़रूरी कर दिया गया है. स्कूल और विश्वविद्यालय बंद हैं.
डॉक्टर रोबर्टो ने ट्विटर पर पोस्ट किया है, “इस वायरस ने गले मिलने, किस करने, दोस्तों के साथ डिनर करने, कॉन्सर्ट्स, शाम को थियेटर ला स्काला में जाने समेत लोगों के सबकुछ छीन लिया है. इस जंग में जीत का दिन बेहद ख़ूबसूरत होगा. ये सब रफ़्तार की बात है.”
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