
दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल के एक हॉस्पिटल के पीछे कार पार्किंग से अपनी कार को बाहर निकालते समय 45 साल की रशेल किम शीशा नीचे करती हैं और फिर अपनी जीभ को बाहर निकालती हैं वो पिछले हफ़्ते डैगु गई थींडैगु दक्षिण कोरिया का वो इलाक़ा है जो कोरोना वायरस की चपेट में था
वहाँ से लौटने के बाद से ही रशेल को खांसी आ रही है और बुख़ार भी है चूंकि मौजूदा समय में दुनिया भर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है तो उन्हें भी इस आशंका ने घेर लिया कि कहीं वो संक्रमित तो नहीं हो गई हैं
उन्होंने फ़ैसला किया कि वो अपना टेस्ट करवाएंगी ताकि उनका डर स्पष्ट हो जाए दक्षिण कोरिया में दर्जनों ऐसे केंद्र बनाए गए हैं जहां आप गाड़ी में बैठे-बैठे टेस्ट करा सकते हैं
इन केंद्रों पर सिर से लेकर पैर तक सफ़ेद सुरक्षात्मक कपड़े पहने खड़े रहते हैं उनके हाथों में उम्दा दस्ताने होते हैं, आंखों पर चश्मे और मुंह पर सर्जिकल मास्क
सेंटर पर खड़े इन दोनों में से एक शख़्स रशेल को एक स्वैब स्टिक (जांच में इस्तेमाल होने वाला उपकरण) देता है रशेल उसे अपने मुंह में अंदर की तरफ़ ले जाती हैं और फिर एक टेस्ट-ट्यूब में सुरक्षित रखते हुए उसे जांच के लिए खड़े दूसरे शख़्स को सौंप देती हैं
इसके बाद एक मुश्किल जांच
एक दूसरा स्वैब वो नाक के अंदर ले जाती हैं ये थोड़ा तक़लीफ़देह है क्योंकि उनकी आंखों में पानी आ जाता है लेकिन ये सारी प्रक्रिया एक से डेढ़ मिनट में पूरी हो जाती है
इसके बाद वो अपनी कार का शीशा ऊपर चढ़ाती हैं और ड्राइव करते हुए पार्किंग एरिया से निकल जाती हैं अगर उनकी जांच का नतीजा पॉज़ीटिव रहा तो उन्हें कॉल करके इसके बारे में सूचित किया जाएगा अगर नतीजा निगेटिव रहा तो सिर्फ़ एक मेसेज
दक्षिण कोरिया में हर रोज़ क़रीब 20 हज़ार लोगों की जांच की जा रही है टेस्ट किए जाने का ये आँकड़ा दुनिया के किसी भी दूसरे देश से कहीं अधिक है
रशेल के पार्किंग से निकलने के कुछ वक़्त बाद ही उनका सैंपल पास के लैब में भेज दिया गया दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस टेस्ट के लिए बनाए गए ये लैब्स 24×7 काम कर रहे हैं
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस तरह के कई लैब तैयार किए गए हैं जो फ्रंट-लाइन पर इस महामारी को मात देने का काम कर रही हैं
दक्षिण कोरिया ने कोरोना वायरस टेस्ट के लिए 96 पब्लिक और प्राइवेट लैब का निर्माण किया है
स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि इस तरह से लोगों की ज़िंदगियां बचायी जा सकती हैं दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस से मौत की दर 0.7 फ़ीसदी है अगर वैश्विक स्तर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर जारी की गई दर की बात करें तो यह 3.4 फ़ीसदी है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि स्थिति इससे कहीं अधिक ख़राब है क्योंकि हर केस दर्ज हो ही रहा हो, यह ज़रूरी नहीं
मैंने ग्रीन क्रॉस लैब का रुख़ किया जो कि सोल के बाहरी हिस्सें में स्थापित की गई है जब मैं वहां पहुंची तो सैंपल का नया स्टॉक टेस्ट होने के लिए बस आया ही था डॉ. ओह येजिंग ने हमें पूरी लैबोरेटरी दिखाई लेकिन एक जगह जाकर वो रुक गईं उन्होंने हमें बताया कि वहां हमारे जाने की मनाही है उन्होंने मुझे बताया “इस निगेटिव प्रेशर रूम में टेस्ट किया जाता है.”
उस कमरे के भीतर दो डॉक्टर मौजूद थे उन्होंने हल्के पीले रंग का सुरक्षा कवच पहन रखा था. वो उस कमरे में कभी एक कोने पर जाते, कभी दूसरे. वे एक मेज पर रखी टेस्ट ट्यूब्स उठाकर दूसरी मेज पर रख रहे थे
हमें अपने आसपास दर्जनों मशीनों की आवाज़ सुनाई दे रही थी ये लगातार काम कर रही थीं और नतीजे दे रही थीं ये पीसीआर (पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन) टेस्ट कर रही थीं अगर एकदम साधारण शब्दों में कहें तो ये मशीनें इस बात की जांच कर रही थीं कि कौन सा सैंपल प़ॉजीटिव है
टेस्ट-ट्यूब में सैंपल स्टोर करने से लेकर टेस्ट का परिणाम आने तक में पाँच से छह घंटे का समय लगता है
मर्स से सबक
प्रोफ़ेसर गे चियोल कोन लैबोरेटरी मेडिसीन फ़ाउंडेशन के चेयरमैन हैं वो कहते हैं कि इतनी तेज़ी से यह सब कुछ कर पाना दक्षिण कोरियाई जीन का हिस्सा है. इसे वो कोरियाई ‘बाली-बाली’ जीन कहते हैं
बाली एक कोरियाई शब्द है, जिसका मतलब है जल्दी
वो ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि दक्षिण कोरिया टेस्ट का तरीक़ा खोजने में कामयाब रहा और उन्होंने पूरे देश में प्रयोगशालाओं का एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया जो महज़ 17 दिनों के भीतर ही सक्रिय तौर पर काम करने लगा
लेकिन इन सभी त्वरित प्रक्रियाओं के पीछे एक बेहद कड़वा अनुभव है
चियोल कोन कहते हैं, “हमने किसी भी नए संक्रमण के ख़तरे से लड़ना सीखा है यह साल 2015 में फैले मिडिल ईस्ट रेस्पाइरेटरी सिंड्रोम (मर्स) की सीख का नतीजा है”
जिस समय मर्स का प्रकोप फैला था, दक्षिण कोरिया में 36 लोगों की जान चली गई थी
36 लोगों की मौत ने इस देश को संक्रमण से निपटने के लिए त्वरित और उपयोगी क़दम उठाने के लिए प्रेरित किया इसके साथ ही दक्षिण कोरिया अपने दृष्टिकोण में भी बदलाव लाने को मजबूर हुआ
दक्षिण कोरिया सेंटर फ़ॉर डिज़ीज कंट्रोल ने तो एक ऐसे विभाग की स्थापना ही कर डाली जो इस तरह की किसी भी बुरी से बुरी परिस्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहे
…और अब जबकि कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर को परेशान कर रहा है, दक्षिण कोरिया की यही तैयारी उसे लाभ दे रही है
प्रो कोन कहते हैं ” मुझे लगता है कि शुरुआती संक्रमित लोगों की पहचान करके, उनकी सही जांच और उसके बाद उन्हें आइसोलेशन में रखकर मृत्यु दर को रोका जा सकता है और वायरस के प्रसार को भी नियंत्रित किया जा सकता है”