
Burari Ghar Bachao Protest: राजधानी दिल्ली की बुराड़ी विधानसभा में 800 परिवारों के आशियाने पर टूटने का खतरा मंडरा रहा है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर गए हैं, क्योंकि लोगों में बेघर होने का डर बना हुआ है। वहीं, इसको लेकर लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। चलिए आपको बताते हैं आखिर ये सब क्यों, कैसे और किस वजह से हो रहा है।
दरअसल, बुराड़ी विधानसभा के अंतर्गत आने वाली कई कॉलोनियों को तोड़ने के लिए कुछ दिनों पहले नोटिस चस्पा कर दिए गए। इसके बाद से ही स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया।
हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश
इस संबंध में हाई कोर्ट ने राजस्व विभाग को आदेश दिया है कि बुराड़ी के झड़ौदा गांव में खसरा नंबर 28 और 29 की जमीन को खाली कराकर उसे असली मालिक को सौंप दिया जाए। इसके बाद राजस्व विभाग ने जमीन खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी और दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए निवासियों को 19 नवंबर तक जगह खाली करने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही अगले दिन यानी 20 नवंबर को ही विध्वंस किए जाने की जानकारी दी गई।
नोटिस में एक्शन की चेतावनी
इसके साथ ही नोटिस में चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समय अवधि यानी 19 नवंबर के भीतर संपत्ति/भूमि खाली नहीं की जाती है, तो अगले दिन यानी 20 नवंबर को विध्वंस शुरू होने के बाद जगह में पड़े सामान के किसी भी नुकसान के लिए कब्जाधारी/अतिक्रमणकारी पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे।
क्या है विवाद
ये दो एकड़ जमीन दशकों से कानूनी विवाद में फंसी हुई है, जहां अब लगभग 800 घर हैं। इसको लेकर निवासियों का दावा है कि वे इस विवाद से अनजान थे। वहीं, 1947 में पाकिस्तान के मोंटगोमरी (अब साहीवाल जिला) से दिल्ली आए भूमि मालिक, शोभत राम ने 1954 में विस्थापित व्यक्ति (मुआवजा और पुनर्वास) अधिनियम के तहत वैकल्पिक भूमि की मांग की। जिसके तहत उन्हें पंजाब में कुछ जमीन मिली।
इसके बाद 1961 में शोभत राम के बेटे राम चंदर को बाकी शेष 2 एकड़ के करीब भूमि झाड़ौदा माजरा में दी गई थी, लेकिन 1995 में बुराड़ी आवंटन रद्द कर दिया गया। इसके बाद राम चंदर ने कोर्ट में याचिका दायर की और तर्क दिया कि यह जमीन (झाड़ौदा माजरा वाली) उसके परिवार के लिए बहुत दुर्गम है और उन्होंने इस पर कभी भी भौतिक कब्जा नहीं किया। इसके बाद उन्हें महरौली में भूमि का एक अलग टुकड़ा आवंटित किया गया और राम चंदर ने जमीन अपने नाम कर ली और खेती करने लगा।
लेकिन, फिर 1999 में महरौली आवंटन रद्द कर दिया गया और बुराड़ी आवंटन बहाल कर दिया गया। इसके बाद 2016 में राम चंदर के पोते, नीरज ने कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि उनके परिवार को अभी भी बुराड़ी में 2 एकड़ जमीन का कब्जा नहीं मिला है। इसके बाद हाई कोर्ट में राजस्व विभाग को आदेश दिया है कि झड़ौदा गांव में खसरा नंबर 28 और 29 की जमीन को खाली कराकर उसे असली भूस्वामी को सौंपा जाए।