Corona Virus China : जनवरी में जब चीन ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अभूतपूर्व कदमों का ऐलान किया तो कई जानकारों ने इस बात की ओर इशारा किया था कि इस तरह के कदमों को लोकतांत्रिक देशों में लागू करना कितना मुश्किल साबित होगा.
इन उपायों में पूरे हुबेई प्रांत और यहां रहने वाले 5.6 करोड़ लोगों को क्वारंटाइन करने (घर से बाहर निकलने और किसी से मिलने जैसी पाबंदियां लगाना) और इस वायरस की चपेट में आए लोगों के इलाज के लिए महज 10 दिनों में एक अस्थायी अस्पताल का निर्माण करना शामिल था.
इन कदमों के उठाए जाने के बाद से चीन में यह वायरस काबू में आता दिखा लेकिन बाकी की दुनिया में यह दो हफ़्तों में ही 13 गुना बढ़ गया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रस एडॉनम ने कोरोना वायरस को एक पैनडेमिक (एक ऐसी महामारी जो दुनिया के बड़े हिस्से में फैल चुकी हो) घोषित करते हुए कहा कि इससे निबटने के लिए ‘दुनिया भर के देशों को तत्काल और आक्रामक कदम’ उठाने चाहिए.
ऐसे में सवाल पैदा होता है कि कोरोना वायरस से जंग में लोकतांत्रिक देशों ने चीन से क्या सबक सीखे हैं?
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