मोटापा एक गंभीर समस्या, लेखक, डॉ. अरविंद त्यागी

 

लेखक, डॉ. अरविंद त्यागी: WHO द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में प्रत्येक वर्ष 3500 करोड़ डॉलर सिर्फ मोटापा घटाने में खर्च किए जाते हैं जो कि अनेक देशों के सालाना बजट से भी अधिक है। जबकि अर्जेंटीना जैसा देश 5 लाख डालर प्रतिदिन मोटापा घटाने के लिए खर्च करता है। भारत में अभी इस प्रकार के सर्वे  उपलब्ध  नहीं है परन्तु यह जरूर है कि यहां भी छरहरा दिखने की चाह परवान चढ़ी है तथा छोटे शहरों में मोटापा घटाने/ बढ़ाने के क्लिनिक खुलने लगे है।आरनावड शेवज नैगर के स्थान पर अब सलमान खान और रितिक रोशन सरीखे अभिनेताओं की तस्वीरें नजर आने लगी है,जिस्म बनाने के नाम पर अब दवाओं का चलन धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा हैं उसके स्थान पर नए नए फूड प्रोडक्ट बाज़ार में उतारे जा रहे है जो कि कहा जाए तो पुरानी शराब को नई बोतल में डालकर परोसा जा रहा है।हाल ही में एक मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी  ने हो की सालाना 900 करोड़ रुपए का कारोबार करती है जिसमें वो शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने के साथ साथ मोटापा ,तनाव,अनिद्रा,मधुमेह से छुटकारा दिलाने की बात करते है। साथ ही अनेक भारतीय कंपनियों ने भी इस प्रकार के फूड प्रोडक्ट बाज़ार मे उतारने प्रारम्भ कर दिए हैं।भारत मे बढ़ते इस चलन को भुलाने मे क्या देशी क्या विदेशी कंपनियों ने अपने अपने रिप्रेजेंटेटिव्स की  फौज को काम काम पर जुटा दिया है।

 

पूरे विश्व में स्वास्थ्य के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है।

आज औसतन 30 प्रतिशत अमरीकी लोग वजन घटाने की सोच बना रहे होते है और 30 प्रतिशत लोग वजन घटाने की कोशिश कर रहे होते हैं चाहे वह योगा, दौड़, व्यायाम, कसरत या दवाओं द्वारा और शेष में 30 प्रतिशत लोग अभी-अभी अपने आप को चुस्त दुरूस्त और हराभरा दिखाने के लिए कार्य समाप्त कर चुके होते है।

कनाडा के विगडांन के बाटे में तो आप ने सुना ही होगा क्या कहा अगर नहीं तो चलो हम बतातें हैं

कनाडा में एक विशेष प्रकार के डांस का आयोजन किया जाता है जिसमें 95 से लेकर 125 कि.ग्राम के महिला एवं पुरूष को ही नाचने का मौका दिया जाता है। और बिग कल्ब में 95 किलो से नीचे वजन वाले ग्राहक को तो सदस्यता भी प्राप्त नहीं की जाती है। और यदि किसी सदस्य का वजन 95 से कम हो जाता है तो भी उसे उस कल्ब से बाहर कर दिया जाता है। इस कल्ब का दृश्य समाज को यह दिखाता है कि मोटे लोग भी नाच सकते हैं तथा वे भी कार्य कर सकते हैं बाकापदा इन नृत्कों की लिस्ट सभी सदस्य शहरों में जारी की जाती है। तथा समय समय पर आपसी नृत्य प्रतियोमिलाओं का भी आयोजन किया जाता है। और बेडोल दिखाने वाले स्त्री पुरूषों को समय-2 पर पुरूस्कृत भी किया जाता है।

अब बात करें मोटापा बढ़ने के कारणों की तो उसमें व्यायाम का ना करना, मानसिक दबाव, प्रतियोगिता, जंक व फास्ट फूड और मासांहार प्रमुख है। ऐसा पाया गया है। कि शारीरिक श्रम ना करने वाले स्त्री-पुरूषों में मोटापा अधिक तेजी से बढ़ता है साथ ही अत्याधिक दबाव व असमान्य प्रस्थितियों में काम करने वालों में भी भारी होने की शिकायतें बनी रहती है। जरूरत से अधिक तले भोजन का प्रयोग करने वालों में भी मोटापा बढ़ने का एक कारण है। शारीरिक गतिविधि ना होने के कारण तथा जमा होने वाली चर्बी एक मजबूत आवरण के रूप में बढ़ती चली जाती है और आदमी का शरीर बीन जैसा होता चला जाता है। और महिलाएं नाशपती के आकार की जबकी अधिकतर पुरूष की चाह रेत घडी जैसी महिला की तथा अधिकतर महिलाओं की चाह ही शब्द के आकार के पुरूषों की होती है।

कसरत करके व दवाओं का प्रयोग करके भी हजारों स्त्री-पुरूष अपने मोटापे को घटा नहीं पाते हैं। वे मोटापा घटाने के लिए गैस्ट्रो सर्जरी की शरण में जाते है। WHO के अनुसार मात्र अमेरीका में ही प्रत्येक वर्ष 40000 लोग इस सर्जरी से गुजर कर अपने को पतला दिखाने की चेष्ठा करते है।

अब बात यह कि गैस्ट्रो सर्जरी क्या ?

इस सर्जरी में जमी हुई वसा/चर्बी को विशेष तकनीक द्वारा पिघलाकर सिरिंज द्वारा निकाला जाता है। इस बात का भी ध्यान रखा जाता है। कि निकाली जा रही चर्बी सभी स्थानों से एक निश्चित मात्रा में निकाली जाए। जिससे कि कहीं कम या ज्यादा निकलने की स्थिति में शरीर वेडोल ना हो जाए। इस प्रक्रिया में रोगी को असहाय दर्द से गुजरना पड़ता है। तथा कई चरणों में इस प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। विश्व भर में तकरीबन 50 देशों में यह सुविधा उपलब्ध है। साथ ही महंगी होने के कारण अभी यह अमीरों के लिए ही उपलब्ध है।

वैज्ञानिक खोंजों से पता चला है कि मोटापा बढ़ाने में जिस जीन का सबसे बड़ा हाथ है वह ‘लिपटिन जीन’ किसी भी शरीर में मोटापा बढ़ाने के लिए यह जीन जब अपने उपयुक्त मात्रा से अधिक बढ़ जाता है तब मोटापा बढ़ना प्रारंभ हो जाता है। बाकि कारण जिन से मोटापा बढ़ता है जो पहले ही आपको बता चुके हैं उन्ही कारणों के चलते इस जीन में परिवर्तन एवं बढ़ोतरी चालू हो जाती है। तथा मनुष्य मोटापे की ओर अग्रसर हो जाता है। अध्ययन के दौरान देखा गया है कि पारिवारिक वन्शवाद के चलते भी यह जीन अपनी कारीगरी दिखाता है। ऐसा पया गया है कि मोटे लोगों के परिवारों में आने वाली सन्तानें भी मोटी ही होती है।

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