नई दिल्ली, सत्यकेतन समाचार। यदि आप किसी सही सलामत व्यक्ति के दाह संस्कार में शामिल होने 20 की संख्या में जा रहे है, तो सावधान हो जाएं, कहीं आप संस्कार से आने के बाद अपने घर में कोरोना वायरस तो लेकर नहीं आ रहे. जी हां कोरोना संक्रमित शवों की दुर्गति मामले में भले ही हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर लकड़ियों से दाह संस्कार की इजाजत दे दी हो, लेकिन दिल्ली सरकार और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थय विभाग के मैडिकल हेल्थ आफिसर ने अपनी जान बचाने के लिए हजारों लोगों की जान को जोखिम में डाल दिया.
हजारों लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा है प्रशासन
श्री देवोत्थान सेवा समिति पंजी के महामंत्री विजय शर्मा ने खुलासा किया है, कि कोरोना संक्रमित मनुष्य के शव को लकड़ी से दाह संस्कार करने पर जो धुआं और राख वहां फैलेगी, उससे आम नागरिकों को कितना खतरा है या नहीं, अभी तक नहीं बताया गया है, जबकि यह प्रक्रिया बीती 28 मई 2020 से जारी है. शर्मा ने कहा, कि निगम अधिकारी अशोक रावत की ही लापरवाही का ही परिणाम है, कि रिपोर्ट का इतने दिनों तक खुलासा ना करने पर जहां एक ओर शवों की घाटो पर दुर्दशा हो रही है, वहीं अन्य आने वाले शवों के साथ आने वाले लोग भी चिंतित हैं.
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शर्मा ने माननीय हाईकोर्ट से मांग की है, कि वे विभाग से राख और धुंए की रिपोर्ट का खुलासा कर सत्यता जनता के सामने लाए. उन्होंने कहा, कि यदि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात लकड़ी से दाह संस्कार से किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं फैलता, तो प्रत्येक श्मशानघाट में दाह संस्कार करवाकर शवों को दुर्दशा से बचाना चाहिए.