नई दिल्ली:कई महिलाओं ने मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञों से संपर्क किया है क्योंकि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि घर से काम करने के दौरान यौन उत्पीड़न की शिकायतें कैसे करें.
अगेंस्ट हैरासमेंट फाउंडेशन चलाने वाली आकांक्षा श्रीवास्तव ने कहा, “कंपनियों की ओर से इस बात का स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है कि किसी संगठन में घर से काम कैसे होना चाहिए और ये चीजें महिलाओं को भ्रम में डाल देती हैं. लॉकडाउन शुरू होने के बाद से मेरे पास रोजाना चार-पांच ऐसी शिकायतें आ ही रही है
“हालांकि लॉकडाउन के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग के पास कम संख्या में ऐसी शिकायत आई हैं. इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह यह हो सकती है कि कई महिलाएं आधिकारिक रूप से शिकायत नहीं करना चाहतीं और दूसरा यह कि वे इस बात के लिए राय लेना चाहती हैं कि वे ऐसे मामले में क्या कर सकती हैं
श्रीवास्तव ने कहा, “लॉकडाउन के दौरान कई महिलाओं को अपनी नौकरी की सुरक्षा की चिंता सताती है, इसलिए वे तय नहीं कर पातीं कि उन्हें आवाज उठानी चाहिए या नहीं. महिलाएं लगातार इस दुविधा में रहती हैं कि उन्हें समस्या खड़ी करने वाले के रूप में नहीं देखा जाए.”
उन्होंने कहा कि घर से काम करने में कुछ दिक्कतें तो आएंगी ही और व्यक्ति को सम्मान के साथ इसे स्वीकार करना चाहिए. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है और ऐसे में महिलाएं तनाव में आ रही हैं.
आकांक्षा ने कहा, “चूंकि हमारा पहले से विशुद्ध रूप से घर से काम करने का अनुभव कभी नहीं रहा, इसलिए महिलाओं के दिमाग में यह बात आती है कि क्या यह उत्पीड़न है, कोई उसकी सीमा कहां खींचे, कोई हाव-भाव को कैसे तय करे कि यह अपमानजनक या अश्लील है. पुरुष सहयोगी सोशल मीडिया पर पीछा करते हैं, मित्रता संबंधी अनुरोध भेजते हैं, तस्वीरों पर टिप्पणी करते हैं और वो भी तब, जब वे उसके मित्र नहीं हैं.”
उन्होंने कहा, “उनके (महिलाओं के) ऊपर जो घर की जिम्मेदारी होती हैं, उन्हें उनका दोषी अनुभव कराया जाता है, असमय उनसे ऑनलाइन होने की मांग की जाती है और ऐसा न होने पर महिलाओं पर झल्लाहट उतारी जाती है. महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने के ये कुछ तरीके है
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