नई दिल्ली। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी नवीनतम सर्वे में रोचक खुलासा हुआ है। नियतकालिक श्रम कार्यबल नियमित कमाई और रोजगार के मामले में महिलाएं पुरुषों से बेहतर स्थिति में हैं। हालांकि चिंता की बात यह है कि 15 से 29 साल के युवाओं में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी नवीनतम नियतकालिक श्रम कार्यबल सर्वे (पीएलएफएस) में यह बात सामने आई है।
यह सर्वे अप्रैल से जून 2018 और जनवरी से मार्च 2019 के लिए किया गया था। केरल और जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। यही नहीं, सर्वे के अनुसार कुल शहरी कामगारों में नियमित आमदनी करने वालों और वेतनभोगी कर्मचारियों का हिस्सा 48.3 फीसदी से बढ़कर महज 50 फीसदी ही हुआ है। यह सुस्त बढ़त को दर्शाता है।
अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक की चार तिमाहियों यानी एक साल के दौरान संगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला वेतनभोगी कामगारों की संख्या में 2.1 फीसदी की बढ़त हुई है, जबकि पुरुष कामगारों की संख्या में 1।.5 फीसदी की बढ़त हुई है। सर्वे के मुताबिक जनवरी से मार्च 2019 की तिमाही में 15 से 29 वर्ष के युवाओं में बेरोजगारी दर 22.5 फीसदी की ऊंचाई तक रही है। इस वर्ग में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा रही है। नवीनतम सर्वे के अनुसार, इस वर्ग में स्वरोजगार में लगे युवाओं का हिस्सा अप्रैल-जून 2018 के 38.9 फीसदी के मुकाबले जनवरी से मार्च 2019 में 37.7 फीसदी ही रहा है। सर्वे के मुताबिक पुरुषों और महिलाओं, दोनों के स्वरोजगार में गिरावट आई है। भारत के पूर्व चीफ स्टेटिस्टिशियन प्रणब सेन कहते हैं, ‘अभी टाइम सीरीज आने दीजिए और आंकड़ों में स्थिरता हो, उसके बाद ही हम ट्रेंड के बारे में कुछ कह सकते हैं।’
एनएसओ के द्वारा राज्यों में रोजगार की हालत पर किए गए एक विश्लेषण से यह पता चलता है कि केरल और जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा और गुजरात तथा कर्नाटक में बेरोजगारी की दर सबसे कम है। इस सर्वे में कार्यबल का हिस्सा उसे माना गया है जो सर्वे की शुरुआत के बाद 7 दिन तक किसी भी दिन कम से कम 1 घंटे तक काम किया हो।
सर्वे के मुताबिक पिछली चार तिमाहियों में कृषि क्षेत्र में रोजगार में गिरावट आई है। यह गिरावट पुरुषों और महिलाओं दोनों के रोजगार के मामले में है। इसी तरह माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में भी रोजगार में गिरावट आई है। इन सेक्टर में पुरुषों के मामले में महिलाओं के रोजगार में ज्यादा गिरावट आई है। जानकारों का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट से समूची मेक इन इंडिया पहल बेकार साबित हो रही है और प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि इस पहल का कुछ खास पहल नहीं हो रहा है।
गौरतलब है कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के पेरोल आंकड़ों के मुताबिक, इस साल सितंबर महीने में करीब 12 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ है। हालांकि अगस्त महीने में 13 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 में कुल मिलाकर 1.49 करोड़ नए सब्सक्राइबर ईएसआईसी से जुड़े हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2017 से सितंबर 2019 के दौरान ईएसआईसी से 3.10 करोड़ नए सब्सक्राइबर जुड़े हैं।