लॉकडाऊन की अवधि 3 मई को खत्म होनी थी लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते केस के कारण अब लॉकडाऊन को 17 मई तक के लिए बड़ा दिया हैं। जिस कारण प्रवासी मजदूरों को काफी मुसीबत हो रही हैं। इस बीच भारतीय रेलवे ने लॉकडाउन बढ़ने से देश के विभिन्न इलाकों में फंसे प्रवासी कामगारों, छात्रों और पर्यटकों के लिए विशेष ट्रेनों को हरी झंडी दे दी है।
प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों से ट्रैन में सफर के लिए टिकट जारी नहीं किया रहा। मतलब की फंसे हुए लोगो से टिकट के पैसे नहीं लिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त ट्रैन में सफर के दौरान खाने-पीने का समान भी फ्री में दिया जाएगा। अब, सवाल ये हैं की रेलवे की ओर से दिए जा रहे खर्चे के पैसे कौन देगा। रेलवे ने इसके जवाब में बताया की सभी खर्च राज्य सरकारों से लिया जायगा।
रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक किराए में स्लीपर क्लास के टिकट की कीमत, 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और प्रति यात्री भोजन के अलावा पानी के लिए 20 रुपये शामिल होंगे। इसका भुगतान राज्य सरकारें करेंगी। रेलवे ने स्पष्ट तौर पर कहा कि 1000 से 1200 यात्रियों को ही ट्रेन में बैठने की अनुमति है. रेलवे की ओर से ट्रेनों में सोशल डिस्टेंसिंग और सैनेटाइजिंग का पूरा ख्याल रखा जाएगा। हालांकि, कौन से लोग ट्रेन से सफर कर सकते हैं, ये राज्य सरकारें तय करेंगी।
आपको बता दें कि देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद से हजारों प्रवासी देश के विभिन्न स्थानों में फंसे हुए थे। कई लोगों ने पैदल चलकर सैकड़ों किलोमीटर दूर घर जाने का प्रयास भी किया।