COVID-19 and Black Fungus: आखिर कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस में समबन्ध क्या है?

COVID-19 and Black Fungus: आखिर कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस में समबन्ध क्या है?

COVID-19 and Black Fungus: भारत देश के नागरिक ना ही सिर्फ कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए जद्दोज़हद कर रहे हैं, बल्कि ब्लैक फंगस से भी निपटने के लिए तमाम कोशिशों में जुटे हैं. लेकिन, यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि ब्लैक फंगल इन्फेक्शन का ज़्यादातर ख़तरा कोरोना मरीज़ों या कोरोना को मात दिए लोगों में ही क्यों हो रहा है. क्या इस फंगस का कोविड मरीज़ों से कुछ लेना देना है? या फिर कोरोना को मात देने में किये जा रहे उपचार से ब्लैक फंगस बढ़ता जा रहा है? या यूँ कहें कि कोविड संक्रमित वायरस में ही ब्लैक फंगस का वास होने लगा है ? चलिए विस्तार से मामले की तहकीकात करते हैं.

कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस में समबंध

सबसे ज़रूरी और अहम बात यह कि, कोरोना के मरीज़ों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमज़ोर हो जाती है. और यही कारण है कि, कोरोना संक्रमितों या कोरोना से ठीक हुए लोग आसानी से ब्लैक फंगस की चपेट में आ जा रहे हैं. विज्ञान की नज़र से देखा जाए तो, असल में कोरोना वायरस के शिकार भी वही लोग होते हैं जिनका इम्यून सिस्टम वीक होता है.

दूसरी बात यह कि, ब्लैक फंगल इन्फेक्शन स्टेरॉयड के अधिक सेवन की वजह से कोविड मरीज़ों में तेज़ी से अपनी जगह ले रहा है. वहीँ कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि, कोरोना मरीज़ों के आस पास गंदगी की वजह भी ब्लैक फंगस के फैलने का कारण हो सकती है. इसके अलावा, ऑक्सीजन सिलेंडर से कोरोना मरीज़ों को ऑक्सीजन सप्लाई कराने से पहले उसे नमी करने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर को पानी से भरे कंटेनर में रखा जाता है. यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि, पानी बिलकुल स्टेराइल होना चाहिए। स्टेराइल मतलब साफ़-सुथरा और गंदगी रहित पानी। अगर पानी में किसी भी प्रकार की गंदगी होती है तो, जिवाडूओं के उत्पन्न होने की सम्भावना होती है. और यही ब्लैक फंगस को दुगुनी तेज़ी से फैलने में मददगार साबित हो रहा है.

कैसे बचा जा सकता है

कोरोना मरीज़ के आस-पास साफ सफाई का माहौल न होना भी फंगल इन्फेक्शन की वजह होती है. इसलिए ध्यान रहे कि, ऐसे संक्रमितों के नज़दीक कोई गंद न हो और पूरा साफ़ सुथरा वातावरण हो. साथ ही, कोविड पेशेंट्स के लिए इस्तेमाल किये जा रहे सभी टूल्स वेल सैनेटाइज़ड होने चाहिए। डॉक्टर्स स्टेराइल पानी का ही इस्तेमाल करें मरीज़ों के लिए.

अब क्यूंकि, ब्लैक फंगल इन्फेक्शन के जीवाडु भी नाक के माध्यम से ही शरीर में प्रवेश करते हैं, तो बेहतर होगा कि इलाज करा रहे मरीज़ भी नाक मुँह साफ़ कपडे से ढँक के रखें। इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करने के लिए फल, सब्ज़ी का खूब सेवन करें।

ब्लैक फंगस के आंकड़े

ब्लैक फंगस के देशभर में अब तक कुल 5 हज़ार 425 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. यह आंकड़े कोरोना मरीज़ों और मधुमेह के रोगियों में बड़ी ही तेज़ी से फ़ैल रहें हैं. ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले महराष्ट्र, कर्नाटका, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में पैर पसार रहें हैं.