नई दिल्ली, सत्यकेतन समाचार। संत निरंकारी मंडल की सतगुरु माता सुदीक्षा इस वर्ष 73 वां वार्षिक निरंकारी संत समागम वर्चुअल रूप में दिनांक 5,6,7 दिसम्बर 2020 को आयोजित किया जाएगा। वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण को लेकर भारत सरकार द्वारा दिशा – निर्देश को ध्यान में रखते हुए यह संत समागम वर्चुअल रूप में आयोजित किया जाएगा। जिसे विश्व भर के लाखों लोगों तक घर बैठे ऑनलाइन माध्यम द्वारा दिखाया जाएगा।
निरंकारी मिशन के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है की वार्षिक निरंकारी संत समागम वर्चुअल रूप से आयोजित किया जायेगा। सम्पूर्ण समागम का वर्चुअल प्रसारण मिशन की वेबसाइट पर दिनांक 5,6,7, दिसंबर 2020 को प्रसारित किया जाएगा इसके अतिरिक्त यह समागम संस्कार टीवी चैनल पर तीनो दिन शाम 5:30 से रात 9:00 बजे तक प्रसारित किया जाएगा।

भारत विभाजन के उपरांत पहाड़गंज, दिल्ली में आकर बाबा अवतार सिंह ने 1948 में संत निरंकारी मंडल की स्थापना की। वर्ष 1948 में ही मिशन का प्रथम निरंकारी संत समागम हुआ। जिस निरोल भक्ति का पौधा 91 वर्ष पूर्व बाबा बूटा सिंह ने लगाया। जिसे सब्र, संतोष, गुरमत के पानी से बाबा अवतार सिंह ने सींचा सहनशीलता और नर्मता का पोषण देकर बाबा गुरबचन सिंह ने बढ़ाया। जिसके बाद बाबा हरदेव सिंह ने प्रेम, भाईचारे से ओत – प्रोत छायादार वृक्ष के रूप में बनाया। ऐसे ही बाग को पुनः सजाने और महकाने की जिम्मेदारी सदगुरु माता सविंदर हरदेव के कंधो पर रही। वर्तमान में सतगुरु माता सुदीक्षा उसी ऊर्जा और तन्मयता के रूप में इसे आगे बड़ा रही हैं।
सत्गुरु माता सुदीक्षा ने जीवन में स्थिरता को समझाते हुए बताया की जिस वृक्ष की जड़े मजबूत होती है वह हमेशा स्थिर रहता हैं तेज हवांए और अंधिया चाहे कितनी भी हो अगर वृक्ष अपने मूल रूप से जुड़ाव रखता है तो उसकी स्थिरता बनी रहती है। इसी प्रकार जिस मनुष्य ने ब्रह्माज्ञान प्राप्त करके अपना नाता इस मूल रूप निरंकारी से सदैव जोड़े रखा है उसके जीवन में जैसे भी परिस्थिति हों तो वह निरंकारी प्रभु का सहारा लेकर स्थिरता को प्राप्त कर लेता हैं।
विश्व आपदा कोविड-19 के दौरान संत निरंकारी मिशन द्वारा सरकार के दिए गए दिशा निर्देशानुसार सोशल डिस्टन्सिंग “दो गज की दुरी मास्क है जरुरी ” को निभाते हुए जनकल्याण की भलाई के लिए अनेक कार्य किए गए। जिसमें ब्लड डोनेशन कैंप, राशन वितरण सेवा, निरंकारी सत्संग भवनों को क्वारंटाइन सेण्टर के रूप में प्रदान किया गया। प्रवासी शरणाथियों के लिए शेल्टर होम में रहने की तथा उनके जलपान की भी उचित व्यवस्था की गई। इसके अतिरिक्त मास्क एंव सेनेटाइज़र वितरण कार्यालयों में जाकर प्रदान किये गए।