बाबा हरदेव सिंह की स्मृति में ‘समर्पण दिवस’ समागम का आयोजन

बाबा हरदेव सिंह की स्मृति में ‘समर्पण दिवस’ समागम का आयोजन

i

सत्यकेतन समाचार: बाबा हरदेव सिंह (Baba Hardev Singh) की स्मृति में ‘समर्पण दिवस’ (Samarpan Diwas) समागम का आयोजन शनिवार यानी 13 मई को सतगुरू माता सुदीक्षा महाराज एवं निरंकारी राजपिता के पावन सान्निध्य में, संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा में आयोजित हुआ। जिसमें दिल्ली, एन. सी. आर. सहित सीमावर्ती राज्यों से हजारों की संख्या में भक्तों ने सम्मिलित होकर बाबा जी के परोपकारों को न केवल स्मरण किया। अपितु हृदयपूर्वक श्रद्धा सुमन भी अर्पित किए।

इस दौरान सतगुरू माता सुदीक्षा महाराज ने उदारहण सहित समझाया कि जिस प्रकार दूध में मधाणी मारने से केवल मलाई एवं मक्खन ही निकलेगा इसके विपरीत पानी में वह अवस्था बिलकुल भी संभव नहीं। अतः सच्ची भक्ति ईश्वर से जुड़कर ही प्राप्त हो सकती है, तब ही हमारा मन प्रेम, सत्कार से सराबोर होगा और फिर गुरु के प्रति सच्ची प्रेमाभक्ति ही हृदय में उत्पन्न होगी। इसीलिए यह आवश्यक है कि सत्गुरू का सच्चा संदेश केवल बोलचाल में ही न रह जाए।

सतगुरु माता के प्रवचनों से पूर्व निरंकारी राजपिता ने अपने सम्बोधन में फरमाया कि बाबा जी का संपूर्ण जीवन ही उपकारों, वरदानों एवं मेहरबानीयों से युक्त रहा। बाबा जी ने समूचे संसार में केवल प्रेम और अमन का ही दिव्य संदेश दिया। प्रेम का वास्तविक अर्थ हमें बाबा जी की सिखलाईयों से ही प्राप्त हुआ और उन्होनें सदैव प्रेम और अपनी दिव्य मुस्कुराहट से न केवल सभी को निहाल किया। बाबा जी का यही दृष्टिकोण था कि जीवन में यदि प्रेम का भाव होगा, तो झुकना सरल हो जायेगा। उनका यह मानना था कि ऊंचाईयों को ऐसे प्राप्त किया जाए कि माया का कोई भी दुष्प्रभाव गुरसिख पर न हो। बाबा जी ने पात्रता एवं प्रयास के भाव को न देखते हुए सभी के प्रति केवल समानता और करूणा वाला भाव ही दर्शाया। अंत में निरंकारी राजपिता ने यही अरदास करी कि हम सभी का जीवन सतगुरू के कहे अनुसार ही निभ जाए।