कर्मपाल सिंह/पूजा कुमारी, सत्यकेतन समाचार। कहते हैं सेवा करने का कोई धर्म नहीं होता और न ही कोई स्वार्थ. लेकिन कई बार देखा गया है कि सेवा के नाम पर लोगों के साथ छल करना ही लोगों ने अपना पेशा बना लिया. इन सब के बीच कुछ सेवादार ऐसे भी होते हैं जो सेवा सिर्फ दिखावे के लिए नहीं करते बल्कि जिनके दिल में सेवा भावना बसती है. जी हां आज हम आपको एक ऐसे ही सेवादार के बारे में बताने जा रहें है जो सेवा के लिए कभी भी पीछे नहीं हटते बल्कि मौका देखते हैं की किसी भी तरह सेवा करना का मौका मिले और अपना आत्म समर्पण झोका जा सके. जिनका नाम है राजू चौधरी.
जब भी शाम को सेवादार सब्जी मंडी से सब्जी लेकर आएं. तो राजू चौधरी वीर के बहुत कसीदे पड़े. लंगर में सब्जियों की सेवा करने वाले गौरव वधवा के माध्यम से राजू चौधरी से मेल हुआ। रोज़ाना ही तारीफ़े सुन कर आज मिलने का मन किया और शाम को सभी सेवादार वीरों के साथ मंडी पहुंच गया। इस अनोखी शख्शियत से मिला जितना सुना था उससे भी बढ़कर पाया। कमाल का वीर है राजू चौधरी। शर्तों के साथ सेवा करता है। जब पहली बार सेवादार मिले तो हैरान कि सेवा की शर्तें? जब शर्तें सुनी तो सभी ने मन ही मन नमन किया कि वाह सेवादार हो तो ऐसा. शर्तें भी कमाल की पहली लंगर के लिए जो भी सब्जी सबसे अच्छी होगी महंगी होगी वही लेकर जाओगे. रोज़ाना लंगर में सब्जी बदल बदल कर बनानी है.
क्वालटी और क्वांटिटी से कोई समझौता नही करोगे. जितनी भी चाहिए निस्संकोच लेकर जाओगे और जब तक सेवा चलेगी मुझे सेवा का मौका जरूर दोगे. सबने सुना और हक्के-बक्के रह गए. दिल से साधुवाद दिया इन्हीं कसीदों को सुन जब आज मिलने पहुंचा तो राजू वीर बोला टिम्मा वीर गुरु साहिब जी का फरमान है कि “मेरा मुझ मै किछ नहीं जो किछ है सो तेरा, तेरा तुझ को सौपते क्या लागै मेरा” मेरा कुछ भी नहीं है सब दाते की रहमत है जब इस मंडी में आया था तो कुछ भी नही था आज मेरे मालिक ने इतनी रहमत की है तो उस मालिक भगवान का एहसान कैसे भूल जाऊं. ऐसे नेकदिल इंसान को मिलकर अपने आप को धन्य महसूस किया और सोचा सभी सेवादार सच्चे कसीदे ही पढ़ रहे थे