Rajasthan Kisan : किसानों का आरोप है कि जब कांग्रेस राजस्थान की सत्ता से बाहर थी, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने उनकी मांगों का समर्थन किया था। हालांकि सूबे में सरकार बनने के बाद गहलोत सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है।
राजस्थान में किसानों ने भूमि अधिग्रहण को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया है। सूबे की राजधानी जयपुर के नींदड़ में 51 किसानों ने आंदोलन करने के लिए जमीन समाधि का रास्ता अपनाया है। किसानों ने जमीन में गड्ढा खोदकर गर्दन तक समाधि लेकर आंदोलन करने का तरीका तीसरी बार अपनाया है। इससे पहले जनवरी में किसानों ने जमीन समाधि आंदोलन शुरू किया था, लेकिन वार्ता के बाद आंदोलन को स्थगित कर दिया था।
किसानों का आरोप था कि सरकार अपने वायदे को पूरा नहीं कर रही थी, जिसकी वजह से फिर से आंदोलन शुरू करना पड़ा है। किसानों की मांग है कि सरकार संशोधित भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जमीन का अधिग्रहण करें, न कि पुराने भूमि अधिग्रहण कानून के तहत।
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नागेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि
Rajasthan Kisan : नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के संयोजक डॉ नागेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि हमारा यह आंदोलन पिछले 10 साल से चल रहा है और जहां तक जमीन समाधि सत्याग्रह की बात है, तो हमको मजबूरन होकर तीसरी बार जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठना पड़ा है। हमारी सरकार से यही अपील है कि हमारी जमीनों को साल 1874 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत नहीं, बल्कि नए संशोधित कानून के तहत किया जाए।
शेखावत का कहना है कि जब हमारी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा था, तभी संशोधित कानून 2013 पास हो गया। हमारा सरकार से यही कहना है कि जब देश में संशोधित भूमि अधिग्रहण कानून बन गया है, तो ऐसी क्या मजबूरी है कि सरकार पुराने कानून के तहत ही इस जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है। सरकार को किसानों के हितों को देखते हुए संशोधित कानून के तहत जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर इसमें कोई कानूनी अड़चन भी आती है, तो उसका भी सरकार ही समाधान निकाले। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वो किसानों के हितों को सर्वोपरि रखे। जब साल 2017 में प्रदेश में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार थी, तब भी किसानों ने जयपुर विकास प्राधिकरण के जमीन अधिग्रहण करने के प्रयास के खिलाफ आंदोलन करने के लिए जमीन समाधि आंदोलन किया था।
किसान कैलाश बोहरा ने कहा कि सरकार पुराने कानून के तहत हमारी जमीन का अधिग्रहण कर रही है, जिसके खिलाफ हम यहां विरोध पर बैठे हैं। हम पिछले 10 साल से लगातार लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं।