नई दिल्ली सत्यकेतन समाचार। केन्द्रीय कैबिनेट का बुधवार को पेट्रोल-डीजल के रिटेलिंग के लिए बड़ा फैसला । उसने देश में अब गैर कंपनियों को पेट्रोल-डीजल बेचने की मंजूरी दी है. इसका मतलब है कि सरकार ने ईंधन के खुदरा कारोबार को गैर-पेट्रोलियम कंपनियों के लिए खोल दिया है. अब ऐसी कंपनिया भी पेट्राल पंप खोल सकेंगी जो पेट्रोलियम क्षेत्र में नहीं हैं. माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक मे यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ईंधन के खुदरा कारोबार को पेट्रोलियम क्षेत्र से बाहर की कंपनियों के लिये खोलने से निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
अभी देश में ईंधन के खुदरा कारोबार का लाइसेंस हासिल करने के लिए किसी कंपनी को या तो हाइड्रोकार्बन की खोज, उत्पादन, रिफाइनिंग, पाइपलाइन क्षेत्र या तरलीकृत गैस टर्मिनलों (एलएनजी) में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होती हैै।
जावड़ेकर ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने वाहन ईंधन के मार्केंटिंग का अधिकार देने संबंधी दिशानिर्देशों की समीक्षा को मंजूरी दे दी है. ऐसी कंपनियां जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये है ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में उतर सकती हैं. इसके लिए शर्त यह होगी कि कम से कम पांच फीसदी पेट्रोल पंप ग्रामीण इलाकों में खोले जाएं.
देश में इस समय करीब 65,000 पेट्रोल पंप परिचालन में हैं. इनका ज्यादातर स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों-इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के पास है.
इस बाजार में निजी क्षेत्र की कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी (पुराना नाम एस्सार आयल) और रॉयल डच शेल भी हैं लेकिन उनकी उपस्थिति सीमित है. दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 से भी कम है.