Pakistani सेना और अदालत आमने-सामने क्या परवेज़ मुशर्रफ को होगी फांसी?

Pakistani सेना और अदालत आमने-सामने क्या परवेज़ मुशर्रफ को होगी फांसी?

परवेज़ मुशर्रफ
परवेज़ मुशर्रफ

सत्यकेतन समाचार : परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के जुर्म में पाकिस्तान की एक अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी।अदालत ने अपने आदेश में लिखा कि अगर फांसी से पहले ही मुशर्रफ की मौत हो जाती है तो भी 3 दिन तक उनकी लाश फंदे पर लटकानी होगी आपने कभी सुना है कि किसी के मरने के बाद भी उसे फांसी दी जाए मगर पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने ऐसा ही अजीब फैसला सुनाया है।आपको याद होगा कि पिछले हफ्ते पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के जुर्म में पाकिस्तान की एक अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी। उसी अदालत ने अपने आदेश में लिखा कि अगर फांसी से पहले ही परवेज मुशर्रफ की मौत हो जाती है तो भी इस्लामाबाद के एक चौराहे पर तीन दिन तक उनकी लाश फंदे पर लटकानी होगी।

जज ने सुनाई अनोखी सजा

परवेज मुशर्रफ फांसी की सज़ा दी जाए और वो फांसी पर लटकने से पहले ही मर जाए तो ऐसी सूरत में क्या होगा? ये अजीब सा सवाल इस वक्त पूरे पाकिस्तान में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि पाकिस्तान की एक स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसले में वो लिखा है, जो इससे पहले कभी किसी पाकिस्तानी जज ने नहीं लिखा।

मरने के बाद भी दें सजा

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के इल्जाम में मौत की सज़ा देते हुए अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि अगर मुशर्रफ किन्हीं वजहों से फांसी देने से पहले ही मर जाते हैं तो उनकी लाश खींचकर इस्लामाबाद के डेमोक्रेसी चौक पर लाई जाए और उसे तीन दिन तक वहां लटकाया जाए।

कोर्ट के फैसले पर बवाल

बस इसी फैसले के साथ पाकिस्तान में फिर एक बार महायुद्ध छिड़ गया। पाकिस्तानी सेना और न्यापालिका आमने-सामने आ गए। यानी पाकिस्तान में तीन में से दो पावर सेंटर आपस में भिड़ गए हैं। पहला पावर सेंटर है सेना, दूसरा पावर सेंटर है ज्यूडिशियरी और तीसरा पावर सेंटर पाकिस्तानी सरकार फिलहाल खामोश है।

सेना प्रमुख को देशद्रोही बताने का पहला मामला

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व सेना प्रमुख और मिलिट्री शासक परवेज़ मुशर्रफ़ को पिछले हफ्ते पेशावर की एक स्पेशल कोर्ट ने सज़ा-ए-मौत दी है। पाकिस्तान में शासकों को सज़ा सुनाए जाने का इतिहास रहा है। ज़ुल्फिकार अली भुट्टो को तो फांसी पर भी चढ़ा दिया गया था। मगर ये पहला मौका है, जब किसी सैन्य प्रमुख को देशद्रोह का दोषी पाया गया हो और अदालत ने उसे सूली पर चढ़ाने का फैसला सुना दिया हो।

सेना और बार काउंसिल आमने सामने

मगर अब इस फैसले पर पाकिस्तानी सेना औऱ पाकिस्तान बार काउंसिल आमने सामने है। एक तरफ जहां पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर के ज़रिए इस फैसले पर नाखुशी ज़ाहिर की तो वहीं पाकिस्तान बार काउंसिल इस फैसले को नज़ीर के तौर पर देख रहा है। ताकि फिर कोई मुल्क के संविधान को कुचलकर सत्ता पर काबिज़ होने से पहले सौ बार सोचे, मगर पाक सेना अपने पूर्व कमांडर को गद्दार कहे जाने वाले इस फ़ैसले के खिलाफ गुस्से में है।

तीन जजों की बेंच ने सुनाई सजा

आपको बता दें कि 17 दिसंबर को तीन जजों वाली पेशावर की विशेष अदालत ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व सेना प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में फांसी की सज़ा सुनाई है। मुशर्रफ को मौत देने वाली इस खंडपीठ को लीड कर रहे थे पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वक़ार अहमद सेठ उनके साथ बेंच में थे सिंध हाई कोर्ट के जस्टिस नज़र अकबर और लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस शाहिद करीम फ़ैसला 2-1 के बहुमत से आया।

ये है पूरा मामला

राजद्रोह का ये मामला साल 2007 का है, जब 3 नवंबर को मुशर्रफ ने पाकिस्तान में इमरजेंसी लगा दी थी। उनके ऊपर ये मामला दिसंबर 2013 में दर्ज हुआ, जब नवाज़ शरीफ़ वहां सत्ता में लौटे ये वही नवाज़ शरीफ थे, जिनसे सत्ता छीनकर मुशर्रफ पावर में आए थे। कोर्ट में मामला लंबा चला और इस बीच मार्च 2016 में मुशर्रफ इलाज़ करवाने की बात कहकर देश से बाहर चले गए। इस वायदे के साथ कि वो वतन लौटकर आएंगे,पाकिस्तान छोड़ने के पहले मुशर्रफ ने मीडिया से कहा था, कि मैं कमांडो हूं और अपने वतन से मुहब्बत करता हूं। कुछ हफ़्तों या महीनों में लौटकर आ जाऊंगा, मगर मुशर्रफ अपने वादे से फिर गए और फिर कभी वतन वापस नहीं लौटे।

पाक सेना ने जारी किया प्रेस नोट

और अब जब देशद्रोह के मामले में अदालत ने उन्हें फांसी की सज़ा सुना दी है। तब तो उनके वतन वापस लौटने का मतलब ही नहीं बनता। मगर इस बीच सेना मुशर्रफ की हिमायत में पुरज़ोर तरीके से खड़ी नज़र आ रही है, एक प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि-

“जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ अदालत के फ़ैसले से सेना को धक्का लगा है और यह काफ़ी दुखद है पूर्व सेना प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने मुल्क की 40 सालों तक सेवा की है। जिस व्यक्ति ने मुल्क की रक्षा में जंग लड़ी वो कभी देशद्रोही नहीं हो सकता है, इस अदालती कार्यवाही में संविधान की भी उपेक्षा की गई है। यहां तक कि अदालत में ख़ुद का बचाव करने का भी मौक़ा नहीं दिया गया, जो बुनियादी अधिकार है बिना ठोस सुनवाई के जल्दबाज़ी में फ़ैसला सुना दिया गया है पाकिस्तान की सेना उम्मीद करती है कि अदालती फ़ैसले मुल्क के संविधान के हिसाब से हो।”

मुशर्रफ ने जारी किया बयान

आपको बता दें कि इस वक्त जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ दुबई के एक अस्पताल में भर्ती हैं और फांसी के इस फैसले के बाद मुशर्रफ ने अस्पताल से ही एक वीडियो स्टेटमेंट जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि कोर्ट का फ़ैसला बिल्कुल बेबुनियाद है हमने 10 साल तक मुल्क़ और सेना को लीड किया मैंने पाकिस्तान के लिए युद्ध भी लड़ा हमें प्रताड़ित किया गया है।

मुश्किल है मुशर्रफ की वापसी

हालांकि मुशर्रफ़ के पास अभी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प है, अगर वहां भी ये सज़ा बरकरार रखी गई तो मुशर्रफ राष्ट्रपति के आगे दया याचिका दायर करने का विकल्प है, अगर वहां से भी सज़ा ख़ारिज़ नहीं होती है। तब भी फिलहाल मुशर्रफ़ का कुछ नहीं बिगड़ेगा, क्योंकि वो अपने वतन से काफी दूर दुबई में हैं और दुबई मुशर्रफ को प्रत्यर्पण करके पाकिस्तान भेजेगा इसकी उम्मीद कम ही लग रही है।

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