नॉर्थ एमसीडी: आप नेताओं द्वारा दवा खरीद में लगाए गए आरोपों का सच

नॉर्थ एमसीडी: आप नेताओं द्वारा दवा खरीद में लगाए गए आरोपों का सच

North MCD: truth of allegations made by AAP leaders in drug procurement
सिविक सेंटर, निगम मुख्यालय

नवीन कुमार, सत्यकेतन समाचार। आम आदमी पार्टी भाजपा शासित निगम पर लगातार हमलावर है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर कई मामलों में पक्ष और विपक्ष द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाते हैं. उत्तरी दिल्ली नगर निगम हमेशा आरोपों के घेरे में घिरा रहता है. हाल ही में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग पर दवाईयों की खरीद को लेकर आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक और आप नेता विपक्ष विकास गोयल ने उत्तरी निगम के एमएचओ डॉ. अशोक रावत पर दवाई खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.

हाल ही में आम आदमी पार्टी के निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक ने आम आदमी पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दवा खरीद से जुड़े कुछ कागजात दिखाते हुए कहा कि इस पूरे मामले में एमएचओ डॉ. अशोक रावत शामिल है. दुर्गेश पाठक ने कहा कि एमएचओ डॉ. अशोक रावत ने मनमाने तरीके से दवा खरीदी है.

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वहीं, इस संबंध में एमएचओ डॉ. अशोक रावत ने बताया कि दवाईयों की खरीद एक प्रक्रिया के अनुसार की जाती है. उस प्रक्रिया में बहुत से अधिकारी शामिल होते है. कोई भी दवा बना किसी प्रक्रिया के खिलाफ जाकर नहीं ली गई. दवा खरीद के लिए सभी प्रक्रिया और अधिकारियों की सहमति ली गई है. बिल्कुल निगम की कार्यप्रक्रिया के तहत ही दवा खरीदी गई है.

क्या है दवा खरीद की प्रक्रिया

उन्होंने बताया कि निगम में कोई दवा खरीदने के लिए हर फाइनेंशियल वर्ष से पहले सभी जोनों से दवा की मांग की जानकारी मांगी जाती है. उसके बाद सभी जोनों की डिमॉड को इकट्ठा करकर एक टेक्निकल कमेटी के पास भेजा जाता है.

उसके बाद एडिशनल कमिश्नर हेल्थ की अध्यक्षता में एक बैठक होती है जिसमें हेल्थ, फाइनेंस, एनवीबीडीसीपी (राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम) के सदस्य भी शामिल होते है. बैठक में लिए गए फैसलों को एडिशनल कमिश्नर को भेजा जाता है फिर फाइल को कमिश्नर के पास भेजा जाता है.

जिसके बाद प्रपोजल को सक्षम प्राधिकारी के पास अनुमति के लिए भेजा जाता है. जो एडिशनल कमिश्नर फाइनेंस द्वारा तय किया जाता है. उसके बाद लागत तय की जाती है जिसके बाद कमिश्नर द्वारा प्रपोजल को पास किया जाता है फिर जाकर किसी भी दवा खरीदने के लिए ऑर्डर किया जाता है.

डॉ. अशोक रावत ने बताया कि कोई भी कार्य किसी एक व्यक्ति के कहने या करने से नहीं होता. विभाग में जो भी दवा खरीदी जाती है उसकी खरीद के लिए सभी अधिकारियों और निगम आयुक्त तक मंजूरी ली जाती है. उसके बाद ही किसी दवा को खरीदा जाता है.

उन्होंने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम 2007 से एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड से दवा खरीद करता आ रहा है जोकि भारत सरकार का ही संस्थान है. एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड ही टेंडर, रेट एवं सप्लाई कंपनी का चयन करता है और सैंपल टेस्ट होने के बाद ही निगम में दवाई आती है.

उन्होंने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम पहले से ही आर्थिक प्ररिस्थितियों से जूझ रहा. उसके बाद भी उत्तरी निगम में दवा ली गई. जबकि दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में किसी भी दवा को खरीदने के लिए पहले पूरा भुगतान करना होता है. फिर दवा उपलब्ध होती है. लेकिन उत्तरी निगम में पहले दवा आती है उसके बाद भुगतान किया जाता है.

निगम प्रभारी दुर्गेश पाठक और नेपा विपक्ष विकास के आरोपों का खंड़न करते हुए उन्होंने कहा कि आप नेताओं द्वारा अपने स्वार्थ के लिए जानकर किसी एक व्यक्ति पर आरोप लगाए जा रहे हैं.