
Nirankari Mission: माता सुदीक्षा महाराज (Satguru Mata Sudiksha Maharaj) एवं निरंकारी राजपिता रमित (Nirankari Rajpita Ramit) की छत्रछाया में आज रविवार को ‘अमृत प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ मन’ परियोजना के दूसरे चरण का शुभारम्भ यमुना नदी के छठ घाट, आई. टी. ओ, दिल्ली से किया गया। बाबा हरदेव सिंह महाराज (Baba Hardev Singh Maharaj) की शिक्षाओं से प्रेरित यह परियोजना समस्त भारतवर्ष के 27 राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के 1533 से अधिक स्थानों पर 11 लाख से भी अधिक स्वंयसेवकों के सहयोग से एक साथ विशाल रूप में आयोजित की गई।

‘प्रोजेक्ट अमृत’ का सफल आयोजन
संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में बाबा हरदेव सिंह की अनंत सिखलाईयों से प्रेरणा लेते हुए ‘प्रोजेक्ट अमृत’ का आयोजन किया गया। इस वर्ष ‘आओ संवारे, यमुना किनारे’ के मूल संदेश द्वारा इस परियोजना को एक जन-जागृति का रूप प्राप्त हुआ। इस अवसर पर संत निरंकारी मिशन के सभी अधिकारीगण, गणमान्य अतिथि तथा हजारों की संख्या में स्वयंसेवक और सेवादल के सदस्य सम्मिलित हुए। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों एवं शिक्षकों के साथ-साथ कई संस्थाओं व पर्यावरण संरक्षण से जुड़े हुए अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया। रेडियो चैनल 92.7-बिग एफ.एम. एवं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की भी इस अवसर पर भागीदारी रही।
संत निरंकारी मण्डल के सचिव एवं समाज कल्याण प्रभारी जोगिन्दर सुखीजा ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि ‘प्रोजेक्ट अमृत’ के दौरान सुरक्षा के हर वैधानिक मापदण्ड का उचित रूप से पालन किया गया। इस कार्यक्रम में सभी सेवादारों एवं आगंतुकों के बैठने, जलपान, पार्किंग, एम्बुलेंस एवं मेडिकल सुविधाओं इत्यादि का समुचित प्रबंध किया गया। इस परियोजना में अधिक से अधिक युवाओं का सक्रिय योगदान रहा। सुखीजा ने सूचित किया कि यह मुहिम केवल एक दिन की न होकर हर महीने भिन्न-भिन्न घाटों व जल स्त्रोतों की स्वच्छता के साथ निरंतर चलती रहेगी।
जल हमारे जीवन का मूल आधार है- माता सुदीक्षा
सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने प्रोजेक्ट अमृत के अवसर पर कहा कि हमारे जीवन में जल का बहुत महत्व है और यह अमृत समान है। जल हमारे जीवन का मूल आधार है। परमात्मा ने हमें यह जो स्वच्छ एवं सुंदर सृष्टि दी है, इसकी देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। मानव रूप में हमने ही इस अमूल्य धरोहर का दुरुपयोग करते हुए इसे प्रदूषित किया है। हमें प्रकृति को उसके मूल स्वरूप में रखते हुए उसकी स्वच्छता करनी होगी। हमें अपने कर्मों से सभी को प्रेरित करना है न कि केवल शब्दों से। कण-कण में व्याप्त परमात्मा से जब हमारा नाता जुड़ता है और जब हम इसका आधार लेते है तब हम इसकी रचना के हर स्वरूप से प्रेम करने लगते है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जब हम इस संसार से जाए तो इस धरा को और अधिक सुंदर रूप में छोड़कर जाए।
‘बाबा हरदेव सिंह ने दी यह प्रेरणा’
‘प्रोजेक्ट अमृत’ के दूसरे चरण का आरम्भ करते हुए निरंकारी राजपिता रमित ने कहा कि बाबा हरदेव सिंह जी ने अपने जीवन से हमें यही प्रेरणा दी कि सेवा की भावना निष्काम रूप में होनी चाहिए न कि किसी प्रशंसा की चाह में। हमें सेवा करते हुए उसके प्रदर्शन का शोर करने की बजाय उसकी मूल भावना पर केन्द्रित रहना चाहिए। हमारा प्रयास स्वयं को बदलने का होना चाहिए, क्योंकि हमारे आंतरिक बदलाव से ही समाज एवं दुनिया में परिवर्तन आ सकता है। एक स्वच्छ और निर्मल मन से ही सात्विक परिवर्तन का आरम्भ होता है।