सत्यकेतन समाचार, नई दिल्ली: विकास की अंधी दौड़ में धरती के पर्यावरण (Environment) का हमने जो हाल किया है, वह बीते करीब चार दशक से चिंता का विषय तो बना लेकिन विकसित देश अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाए विकासशील देशों पर हावी होने के लिए इसे इस्तेमाल करते रहे और विकासशील देश भी विकसित देशों के रास्ते पर चलकर पर्यावरण (Environment) नष्ट करने के अभियान में शामिल हो गए।
ऐसे बदला पर्यावरण (Environment) का परिदृश्य
सड़क पर गाड़ियों की कतारें, धुआंं उगलती फैक्ट्रियां और धूल बिखेरते निर्माण हमारे शहरों के विकास की पहचान बन गए थे। बड़े पैमाने पर होने वाली गतिविधियों ने हमारे शहरों की हवा को कितना जहरीला और नदियों को कितना प्रदूषित किया, यह हम सब जानते हैं। हवा का जहर क्षीण हो गया है और नदियों का जल निर्मल। भारत में जिस गंगा को साफ करने के अभियान 45 साल से चल रहे थे और बीते पांच साल में ही करीब 20 हजार करोड़ रूपए खर्च करने पर भी मामूली सफलता दिख रही थी, उस गंगा को तीन हफ्ते के लॉकडाउन (Lockdown) ने निर्मल बना दिया।
वहीं आज समूचा विश्व कोरोना वायरस की चपेट में है। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी लॉकडाउन जैसे हालातों से जूझ रही है। वहीं शैक्षिक क्षेत्र की तालाबंदी भी एक महती मुसीबत पैदा होने का आभास करा रही है। पहले से ही संसाधन की भारी कमी झेल रहे एजुकेशन (Education) सेक्टर को अब इससे दोहरी मार झेलनी होगी।
कोरोना के संकट के चलते देश भर के शैक्षिक संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है। इससे लाखों छात्रों के पठन-पठन में बाधा पैदा हुई है। एक तरफ जहां दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं, वहीं अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं को भी आगे के लिए टाल दिया गया है। एक डाटा के अनुसार दसवीं और बारहवीं के क्रमश: 18.89 लाख और 12 लाख छात्र इससे प्रभावित होंगे। वहीं देश भर के 20,300 सरकारी स्कूलों में नौनिहालों का बस्ता बंद कर दिया गया है।
इस अकल्पनीय स्वास्थ्य आपदा ने शिक्षा प्रणाली के ढांचे को चरमरा कर रख दिया है। प्रभाव इतना गहरा है कि कई राज्यों में मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की कक्षाएं बंद कर दी गई हैं। उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा एवं बाल विकास कार्यक्रमों के तहत दी जाने वाली सभी प्रकार की कक्षाएं रद की जा चुकी हैं। अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ शिक्षा क्षेत्र भी पूरी तरह से लॉकडाउन (Lockdown) की मार झेल रहा है। यही हाल उच्च शिक्षा केंद्रों का भी है। करीब 38,500 कॉलेज और 760 विश्वविद्यालयों पर ताला बंदी से उच्च शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित होगी। वहीं लाखों निजी कोचिंग सेंटर इसके प्रभाव की जद में हैं। देश भर में उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन प्रक्रिया ठप है। छात्रावासों के खाली होने और उसके चलते छात्रों के घर लौट जाने से नियत समय पर होने वाली उनकी परीक्षाएं अनिश्चित काल के लिए टाल दी गई हैं।