Lockdown 6: से भारत की इकॉनमी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है…

Lockdown 6: से भारत की इकॉनमी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है…

Lockdown 6: लॉकडाऊन 6 में आर्थिक नुकसान का आकलन करने का आसान तरीका है कि इस दौरान दैनिक आधार पर हुए नुकसान का कैलकेलुशेन किया जाए. जब कोविड-19 का मामला सामने नहीं आया था तब अनुमान के आधार वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत की औसत दैनिक जीडीपी का मूल्य लगभग $ 8 अरब था.
लॉकडाऊन 6 से भारत की जीडीपी को सीधे $240 अरब का अधिकतम संभावित नुकसान होगा. हालांकि, वास्तविक नुकसान कम होगा, क्योंकि नुकसान का काफी हिस्सा वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में कवर किया जा सकता है.

  • खपत और मांग पर असर
  1. ड्यूरेबल और सेमी ड्यूरेबल गुड्स का निजी खपत में करीब लगभग 11% हिस्सा है.
  2. गैर-टिकाऊ सामानों (नॉन ड्यूबेरल गुड्स) में पीएफसीई (प्राइवेट फाइनल कंज्पशन एक्सपेंडेचर) की हिस्सेदारी 39 फीसदी है. इसमें जरूरी सामान भी शामिल हैं. इसमें 75% से अधिक खाद्य और पेय पदार्थ शामिल हैं. इन पर काफी असर पड़ने की संभावना है.
  3. खपत से जुड़ी मांग में 50 फीसदी योगदान सर्विस सेक्टर का है. इकोनॉमी की ग्रोथ में इसका बहुत बड़ा योगदान है. अगली कुछ तिमाहियों में इस सेक्टर पर भी असर दिखेगा. ड्यूरेबल्स और सेमी-ड्यूरेबल्स के उलट कुछ सर्विस सेगमेंट में खपत में स्थायी नुकसान (जैसे सिनेमा, रेस्तरां, आदि) देखा जा सकता है.
  4. उपभोक्ताओं के जेब खर्च के विश्लेषणों से पता चलता है कि कोविड -19 का प्रकोप भारत की खपत के लगभग 30-35 फीसदी हिस्से पर असर डाल सकता है. लोग कपड़े और जूते, फर्निशिंग, वाहन और मनोरंजन से जुड़े सामान आदि की खरीद को टाल सकते हैं.

  • मैन्युफैक्चरिंग, निर्यात और निवेश पर पड़ सकता है असर…

यदि एक महीने पूरे देश की फैक्टरियाां पूरी तरह से बंद हैं, तो वित्त वर्ष 2021 में वास्तविक मैन्युफैक्चिरंग ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में 5 फीसदी की गिरावट का अनुमान है. यह वित्त वर्ष 1992 के बाद से GVA के निर्माण में गिरावट का पहला उदाहरण होगा. इसके परिणामस्वरूप भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए मूल्य-वर्धित $31 अरब डॉलर का नुकसान होगा.

  1. यह क्षेत्र दुनिया के साथ सभी देशों से जुड़े होने के चलते कच्चे माल की सप्लाई न मिल पाने के चलते भी प्रभावित होगा. भारत के विनिर्माण उत्पादन में विदेशों का हिस्सा काफी अधिक है. यह लगभग 35% है. यह कुछ उद्योगों जैसे कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 50% से भी अधिक है.
  2. निकट भविष्य में निवेश की मांग नहीं होगी.
  3. वैश्विक विकास पर असर होने से भारत के निर्यात पर भारी असर होगा.

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