नागरिकता एक्ट (CAA) का विरोध कर रही राज्य सरकारों को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दिया मुंहतोड़ जवाब

सत्यकेतन समाचार: राज्य सरकारों द्वारा किये जा रहे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध और केरल विधानसभा में कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य सरकारों को संविधान का आइना दिखाया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि जो सरकारें संविधान की शपथ लेकर सरकार में आयी हैं वो बिल्कुल गैर संवैधानिक बात कर रही हैं कि ‘हम सीएए को लागू नहीं करेंगे। केन्द्रीय कानून लागू करना राज्य सरकारों का संवैधानिक दायित्व है’।

सीएए को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों के विरोधी रवैये पर कानून मंत्री ने कहा कि सीएए संसद द्वारा पारित कानून है। संविधान के अनुच्छेद 246 में कहा गया है कि संसद सातवीं अनुसूची की केन्द्रीय सूची यानी लिस्ट वन में दिए गए विषयों पर कानून बना सकती है। लिस्ट वन की प्रविष्टि 17 में साफ लिखा हुआ है कि नागरिकता संबंधी सारे मामलों पर संसद कानून बना सकती है। राज्यों को उनका कर्तव्य और दायित्व याद दिलाते हुए उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 256 का हवाला दिया और कहा कि इसमें कहा गया है कि राज्य की शासकीय शक्ति इस प्रकार से उपयोग में लायी जाएगी कि संसद द्वारा पारित कानून को लागू करे।

रविशंकर प्रसाद ने संविधान के प्रावधान उद्धत करते हुए कहा कि संवैधानिक कहता हैं कि संसद द्वारा बनाया गया कानून पूरे देश में लागू होगा और संसद सातवीं अनुसूची की केन्द्रीय सूची यानी लिस्ट वन में शामिल विषय पर कानून बनाने के लिए अधिकृत है। प्रसाद ने नागरिकता पर कानून बनाने की संसद की शक्ति और अधिकार स्पष्ट करते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 245 (1) कहता है कि संसद पूरे भारत के लिए या किसी विशेष भाग के लिए कानून बना सकती है। और इस अनुच्छेद का दूसरा भाग कहता है कि किसी कानून को क्षेत्राधिकार के बाहर बता कर गैर कानूनी नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने कहा कि देश के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि संसद द्वारा पारित कानून लागू करना हर राज्य सरकार का संवैधानिक दायित्व। प्रसाद ने कहा कि अगर वे (राज्य सरकारें) संविधान की शपथ लेकर कुर्सी पर बैठी हैं। संविधान की शपथ का मतलब होता है संविधान के प्रावधानों का सम्मान करना और उसके अंतरगत यह संवैधानिक मर्यादा है कि राज्य संसद के द्वारा पारित कानून को लागू करें। प्रसाद ने कहा कि वह कहना चाहते हैें कि जो राज्य सरकारें इस तरह का दावा कर रही हैं या उनके प्रभाव से प्रस्ताव पारित हो रहे हैं वे कृपा करके उचित कानून राय लें।

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