
सत्यकेतन समाचार: क्या आप को पता है की IPC की धारा 307 क्या हैं?, यह किस आरोपी पर लगाई जा सकती है?, इसमें सजा व जुरमाना का क्या प्रावधान हैं?, दोषी पाए जाने के बाद अपराधी कितने दिनों तक जेल में रहेगा? तो आइए इस छोटे से लेख के माध्यम से जानते है की भारतीय दंड संहिता की धारा 307 क्या कहती हैं।
धारा 307 का विवरण
हत्या की कोशिश करने वाले आरोपी को आईपीसी की धारा 307 (IPC Section 407) में दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है। आम तौर पर ऐसे मामलों में दोषी को 10 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। जिस आदमी की हत्या की कोशिश की गई है अगर उसे गंभीर चोट लगती है, तो दोषी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।
IPC की धारा 307 किस आरोपी पर लगाई जाती हैं।
IPC Sectin 307 (IPC की धारा 307) में सजा का प्रावधान।
तो ऐसा करने पर उस अपराधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अंतर्गत किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे अधिकतम 10 वर्ष तक बड़ाया जा सकता हैं, और साथ में उस अपराधी को आर्थिक दंड, जो उस अपराधी के जुर्म और हैसियत के अनुसार तय की जाती हैं, से भी दण्डित किया जा सकता हैं।
( 10 वर्ष का कारावास + आर्थिक दंड )
दुसरे केस में अगर इस प्रकार के अपराधो को अंजाम दिया जाता हैं जिसमे कोई अपराधी किसी व्यक्ति पर हत्या करने के इरादे से उसपर किसी भी प्रकार का कोई वार तो करता हैं, और ऐसे में उस व्यक्ति की जान तो नहीं जाती लेकिन उसे गंभीर रूप से शाररिक चोट पहुँचती हैं, तो ऐसा में उस अपराधी को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अंतर्गत 10 वर्ष के कारावास के साथ-साथ उस अपराधी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती हैं।
IPC Sectin 307 (IPC की धारा 307) में जमानत का प्रावधान।
IPC की धारा 307 के अंतर्गत आने वाला अपराध पीड़ित व्यक्ति के द्वारा समझौता करने योग्य नही है। और साथ ही यह अपराध Sessions Court के द्वारा सुना जा सकता हैं।