Indirect Elections: अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली

Indirect Elections: अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली

सत्यकेतन समाचार: यह प्रणाली प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली पर ही आधारित है। प्रत्यक्ष रूप में जो प्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते हैं, वे आगे कुछ और प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, इसे अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली कहा जाता है। इस तरह इसमें जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन में भाग नहीं लिया जाता। इसमें प्रतिनिधियों का चुनाव जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के निर्वाचक मण्डल द्वारा ही होता है। अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव इसी पद्धति से होता है। भारत में भी राष्ट्रपति, राज्यसभा तथा विधान परिषदों का निर्वाचन इसी पद्धति से होता है।

अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के गुण

  1. इस प्रणाली के अन्तर्गत योग्य तथा वांछनीय व्यक्तियों का निर्वाचन सम्भव है। क्योंकि इसमें चुने हुए व्यक्ति ही भाग लेते हैं, जिन्हें सुयोग्य व्यक्तियों की परख होती है।
  2. इसमें दलबन्दी के दोष नहीं होते हैं। इसमें दलीय उग्रता का अभाव होता है।
  3. यह भ्रष्टाचार से मुक्त रहती है।
  4. इससे सार्वजनिक मताधिकार और भीडतन्त्र के दोषों से छुटकारा मिल जाता है।
  5. इससे निर्वाचन की पवित्रता बनी रहती है, क्योंकि इसमें चुनाव जीतने के लिए हिंसा अपनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  6. यह प्रणाली कम खर्चीली है।
  7. यह प्रणाली पिछड़े देशों के लिए अधिक उपयुक्त है।

अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के अवगुण

  1. यह प्रणाली अलोकतन्त्रीय है, क्योंकि इसमें मतदाता और प्रतिनिधियों का प्रत्यक्ष सम्पर्क टूट जाता है। इसमें निर्वाचक मण्डल के सदस्यों को ही अधिक सम्मान मिलता है, आम मतदाता को नहीं। इससे नागरिकों को राजनीतिक चेतना व जागरूकता का हास होता है।
  2. इससे नागरिकों का मताधिकार और स्वतन्त्रता दोनों सीमित हो जाते हैं।
  3. इसमें भ्रष्टाचार उच्च स्तर पर होता है, क्योंकि सभी मतदाताओं को लुभाने की बजाय गिने चुने विधायकों को ही अपने पक्ष में करना होता है। इसके लिये गुप्त भ्रष्ट तरीकों का बहुत अधिक प्रयोग होता है।
  4. इसमें दलबन्दी और साम्प्रदायिक भावनाएं अधिक प्रबल हो जाती हैं। जहां पर राजनीतिक दल सुव्यवस्थित अवस्था में होते हैं, वहां यह प्रणाली नाममात्र की रह जाती है। अमेरिका में सुव्यवस्थित दल प्रणाली के कारण राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष होते हुए भी प्रत्यक्ष ही जान पड़ता है।

इस तरह अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली भी प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की तरह दोषमुक्त नहीं है। लेकिन फिर भी इसे अमेरिका व भारत सहित कई देशों में आंशिक या अधिक तौर पर अवश्य अपनाया गया है। इसमें दलबन्दी और भ्रष्टाचार जैसे आरोप सार्वभौमिक नहीं है। यदि जनता जागरूक है और प्रतिनिधिगण उत्तरदायित्व को समझते हैं तो यह प्रणाली काफी महत्व की हो जाती है। सत्य तो यह है कि कहीं पर प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली, तो कहीं पर अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली या दोनों को मिश्रित रूप में अवश्य अपनाया गया है।

भारत में निम्न सदन (लोकसभा) का निर्वाचन तो प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली द्वारा तथा उच्च सदन (राज्य सभा) का निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से होता है। इसके लिए सारे देश को एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र में बांट दिया जाता है। आधुनिक युग में एक सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था ही अधिक लोकप्रिय हो चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *