पेट्रोल और डीज़ल पर भारत में सबसे ज्यादा टैक्स

पेट्रोल और डीज़ल पर भारत में सबसे ज्यादा टैक्स

लॉकडाऊन के कारण भारत की अर्थवयवस्था डगमगा चुकी है। इसको पहले की तरह बनाने के लिए सरकारों ने शराब, पेट्रोल और डीज़ल पर टैक्स बड़ा दिया हैं। पम्प पर मिलने वाले पेट्रोल और डीज़ल पर 69 फीसदी टैक्स हो गया है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। भारत के अलावा जर्मनी, फ्रांस, इटली और ब्रिटेन में ही ईंधन पर 60 फीसदी से ज्यादा टैक्स है। सरकार ने डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी में 13 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल प्रे 10 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की हैं।

मंगलवार रात एक अधिसूचना जारी कर बताया गया कि डीजल एवं पेट्रोल दोनों पर रोड एवं इन्फ्रा सेस बढ़ाकर 8 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। इसे अलावा डीजल पर 5 रुपये लीटर का अतिरिक्त एक्साइज और पेट्रोल पर 2 रुपये लीटर का अतिरिक्त एक्साइज टैक्स लगाया गया है। यह भारत में ईंधन पर एक दिन में टैक्स की हुई सबसे बड़ी बढ़त है।

और देशों में कितना है टैक्स

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने भी डीजल पर वैट 7।1 रुपये लीटर और पेट्रोल पर 1।6 रुपये लीटर बढ़ा दियाहै। यानी अब दिल्ली में जो पेट्रोल 71।26 रुपये लीटर बिक रहा है, उस पर जनता 49।42 रुपये का टैक्स और 69।39 रुपये लीटर बिकने वाले डीजल पर 48।09 रुपये का टैक्स दे रही है। इतना टैक्स दुनिया के किसी भी देश में नहीं है।

फ्रांस एवं जर्मनी में ईंधन की खुदरा कीमत पर टैक्स 63 फीसदी, इटली में 64 फीसदी, ब्रिटेन में 62 फीसदी, स्पेन में 53 फीसदी, जापान में 47 फीसदी, कनाडा में 33 फीसदी और अमेरिका में 19 फीसदी लगता है। पिछले साल तक भारत में भी डीजल और पेट्रोल पर टैक्स 50 फीसदी तक था।

क्या कहा सरकार ने

हालांकि सरकार ने कहा है कि एक्साइड ड्यूटी में बढ़त का ग्राहकों पर असर नहीं होगा, क्योंकि इस साल कच्चे तेल की कीमतें काफी कम हैं और इसलिए रेट नहीं बढ़ाए जाएंगे।

इस साल भारतीय बास्केट के क्रूड का रेट करीब 64 फीसदी तक टूट गया है। दिसंबर 2019 में इंडियन बास्केट क्रूड का रेट 65।5 डॉलर प्रति बैरल था, लेकिन सोमवार को यह सिर्फ 23।38 डॉलर प्रति बैरल तक रह गया। अप्रैल महीने में यह 19।9 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था।

कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद पेट्रोल एवं डीजल की खुदरा कीमतों में कोई कमी नहीं आ रही। पिछले पूरे महीने में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 69।87 रुपये और डीजल की कीमत 62।58 रुपये लीटर पर टिकी रही।

खजाना भरने के लिए टैक्स का सहारा

असल में केंद्र और राज्य दोनों तरह की सरकारें अपने खजाने की भरपाई के लिए तेल पर टैक्स लगाने का सहारा ले रही हैं। केंद्र सरकार ने इसके पहले मार्च महीने में ही पेट्रोल-डीजल पर 3 रुपये लीटर तक टैक्स बढ़ा दिया था, एक बार फिर इसे बढ़ाया गया है और ताकि कच्चे तेल की घटी कीमत का फायदा उठाया जा सके।

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