Hariyali Teej : सत्यकेतन समाचार, नई दिल्ली; मनुष्य स्वभाव से ही प्रकृति प्रेमी है। आसमान में बादल, पपीहे की पुकार और बारिश की फुहार से खुश होकर लोग सावन मास की शुक्ल तृतीया (तीज) को हरियाली तीज (Hariyali Teej) का लोकपर्व मनाते हैं। इस बार यह पर्व 23 जुलाई दिन गुरुवार को है। पूरे उत्तर-भारत में तीज पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को श्रावणी तीज और हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व में सुहागन महिलाएं पूरा श्रृंगार करती हैं और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। आइए जानते हैं आखिर क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज का पर्व…
इस तरह मनाया जाता है हरियाली तीज (Hariyali Teej)
सावन लगते ही विवाहित महिलाएं पीहर बुला ली जाती हैं। हरियाली तीज (Hariyali Teej) से एक दिन पहले द्वितीया का श्रृंगार दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे सिंजारा कहते हैं। बहू बेटियों को 9-9 प्रकार के मिष्ठान व पकवान बनाकर खिलाए जाते हैं। सिंघारा वाले दिन किशोरी एवं नव विवाहिता वधुएं इस पर्व को मनाने के लिए अपने हाथों और पावों में कलात्मक ढंग से मेहंदी लगाती हैं। तीज वाले दिन महिलाएं लहरिया की साड़ी और आभूषणों से सुसज्जित होकर अपनी सखी-सहेलियों के साथ शाम के समय सरोवर के समीप या किसी उद्यान में झूला झूलते हुए हरियाली तीज के गीत गाती हैं।
क्यों मनाते हैं हरियाली तीज (Hariyali Teej)
मान्यता है कि भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 107 जन्म लिए थे। मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई। इस दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है।