2019 जाते जाते, कुछ गाने जो राजनैतिक पार्टियों पर खूब सजते है

2019 जाते जाते, कुछ गाने जो राजनैतिक पार्टियों पर खूब सजते है

भारत और 2019- इस साल ऐसा काफ़ी कुछ हुआ जिसने कई लोगों को हैरान किया, कुछ को परेशान किया, कुछ के दिल टूटे और कई वादे भी टूटे. कुछ उम्मीदें धूमिल हुईं तो कुछ बंधी भी.

भारत को गीत-संगीत का देश भी कहा जाता है जिन गानों ने इस  साल हमारे ज़िंदगी को सुरमई बनाने में मदद की.

1. मोदी 2 .0

भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को 2019 के संसदीय चुनाव में ताबड़तोड़ जीत मिली. उस वक़्त भाजपा और मोदी कैंप में मूड कुछ यूँ रहा होगा जैसा फ़िल्म ‘जो जीता वही सिकंदर’ में नौजवानों का था

यहाँ के हम सिकंदर

चाहें तो रख लें सबको अपनी जेब के अंदर       

अरे हमसे बचके रहना मेरे यार

2. कांग्रेस की बड़ी हार

2019 में हुए संसदीय चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. लोगों ने कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. कई लोग कहने लगे कि इनसे कुछ नहीं हो पाएगा. लेकिन कांग्रेस के लोग मानो यही उम्मीद लगाए बैठे रहे कि अपना टाइम आएगा.

कौन बोला मुझसे न हो पायेगा?

कौन बोला? कौन बोला?

अपना time आएगा

उठ जा अपनी राख से

तू उड़ जा अब तलाश में

परवाज़ देख परवाने की

आसमां भी सर उठाएगा

आएगा, अपना time आएगा..

कांग्रेस गठबंधन ने भले ही झारखंड में चुनाव जीत लिया हो लेकिन कांग्रेस की वापसी का रास्ता अभी लंबा है

3. नागरिकता और आंदोलन

साल का अंत देश भर में प्रदर्शनों के साथ हो रहा है. नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के विरोध में कई छात्रों से लेकर आम नागरिक इसमें सड़कों पर हैं. आंदोलत करती इस जनता के बीच  कुछ लोगों ने अपना सिक्का बनाने की कोई कसर नहीं छोड़ी हर वो हड़कंडा अपनाया जो गैरक़ानूनी  था

लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

वो दिन की जिसका वादा है

जो लौह-ए-अज़ल में लिख्खा है

जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ

रूई की तरह उड़ जाएँगे

4. अपना गाना अपना दौर

जाते-जाते एक गाना अपनी पसंद का, 1958 में आई फ़िल्म फिर सुबह होगी

वो सुबह कभी तो आएगी….

इन काली सदियों के सर से, जब रात का आंचल ढलकेगा

जब दुख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलकेगा

जब अंबर झूम के नाचेगा, जब धरती नज़्में गाएँगी

वो सुबह कभी तो आएगी….

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