
नई दिल्ली, सत्यकेतन समाचार। द्वारका सेक्टर 3 के मशहूर आकाश अतिविशिष्ट अस्पताल में वाक्य में एक विशिष्ट घटना हुई है जो अकेले समाज की पिछली धारणाओं पर काटा लगाने के लिए काफी है. बात दरअसल, एक 57 वर्षीय ससुर की है जिसने अपनी किडनी के रोग से ग्रस्त बहू की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान कर दी. अस्पताल के डॉ. विकास अग्रवाल ने बताया कि, यह 35 वर्षीय महिला तकरीबन 4 सालों से किडनी की बीमारी से पीड़ित थी. यह लगभग नियमित रूप से दवाई लेने और जांच कराने आती थी लेकिन, हाई ब्लड प्रेशर की वजह से महिला की दोनों किडनियों ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया था. पिछले 6 महीनों से तो महिला की परेशानी इतनी बढ़ गई थी कि, उसे अस्पताल से डायलेसिस जैसी सुविधाएं देनी पड़ रही थी.
बता दें, अस्पतालों में किडनी डायलेसिस फैसिलिटी तब दी जाती है जब किसी की किडनी 80 फीसद या उससे अधिक खराब हो जाती है, इस प्रक्रिया में खून से अनावश्यक पदार्थों को निकाल बाहर किया जाता है. हालांकि, इस प्रक्रिया से किसी की जान को कोई खतरा नहीं होता लेकिन यह किसी परेशानी से कम भी नहीं होती। बहू की ऐसी हालत देख कर ससुर ने फैसला किया कि, वह अपनी एक किडनी बहु को देंगे जिससे वह साधारण व्यक्ति के समान फिर से जीवन यापन कर सके.
ख़ास बात यह रही कि, बहू और ससुर दोनों के रक्त वर्ग भी समान थे जिससे बगैर अधिक समस्याओं के ऑपरेशन हो गया. फिलहाल दोनों स्वस्थ हैं. डॉ. विकास के मुताबिक, अगर व्यक्ति स्वस्थ है तो वह एक किडनी पर भी सामान्य व्यक्तियों की तरह जीवन जी सकता है. ऐसे में कोई ख़तरा नहीं होता और इसलिए हम डक्टोर्स मरीज़ों में किडनी ट्रांसप्लांट करने से पहले डोनर की दोनों किडनियों की ठीक से जाँच करते है ताकि मरीज़ और डोनर दोनों की जान सुरक्षित रहे.
अब डॉक्टरों का कहना है कि, महिला को यह ध्यान रखना है कि ब्लड प्रेशर उसके नियंत्रण में रहे ताकि आगे ऐसी समस्या न हो. साथ ही उन्होंने, महिला को नित्य रूप से जांच कराने की सलाह भी दी है.