
- भूमिका
Electoral system, सत्यकेतन समाचार:भारत एक लोकतान्त्रिक देश है । वर्तमान युग की इस सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली में जनता को अपने प्रतिनिधियों को निर्वाचित करने का अधिकार,मताधिकार कहलाता है । स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् 26 जनवरी, 1950 को संविधान में नागरिकों को यह अधिकार दिया गया है ।
इस व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक वयस्क स्त्री-पुरूष, जो पागल, दिवालिया, भ्रष्ट या अवैधानिक आचरण के कारण दण्डित हैं, मताधिकार से वंचित होंगे । संविधान द्वारा अनुमोदित 18 वर्ष पूर्ण करने पर लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभा हेतु मताधिकार का पात्र होगा । मतदाताओं की सूची में पंजीकृत व्यक्ति को मताधिकार का अधिकार है । इसके लिए शिक्षा या सम्पत्ति की कोई शर्त नहीं है । भारत में कुशल एवं निष्पक्ष निर्वाचन हेतु एक निर्वाचन आयोग की व्यवस्था है ।
- निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्य:
(i) चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन,
(ii) मतदाता सूचियों को तैयार करवाना,
(iii) विभिन्न राजनितिक दलों को मान्यता प्रदान करना,
(iv) राजनितिक दलों को आरक्षित चुनाव चिन्ह प्रदान करना,
(v) चुनाव करवाना,
(vi) राजनितिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करवाना.
(vii)निर्वाचन तिथियां व कार्यक्रम घोषित करना ।
- भारतीय निर्वाचन प्रणाली की किन्हीं दो कमियां ….
1. खर्चीली प्रणाली ।
2. प्रतिनिधित्व की दोषपूर्ण प्रणाली ।
3. शासकीय साधनों का दुरूपयोग
4. मतदाताओं की उदासीनता ।
5. निर्दलीय प्रत्याशी ।
6. आचार संहिता का उल्लंघन ।
7. अनुचित साधनों का प्रयोग व भ्रष्टाचार ।
8. बोगस मतदान और मतदान केन्द्रों पर कब्जा ।
9. चुनाव याचिकाओं के निर्णय में विलम्ब ।
10. आपराधिक छवि वाले प्रभावशाली लोगों को टिकट वितरण एवं चुनाव लड़ने की छूट ।
11. जेल से भी चुनाव लड़ा जाना ।
उपसंहार:
लोकतान्त्रिक देश भारत में निर्वाचन की संवैधानिक प्रक्रिया विश्व में अनूठी है । जनसंख्या की विशालता एवं क्षेत्र की व्यापकता की दृष्टि से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिनिधियों के चुनाव की यह प्रणाली-सर्वाधिक उपयुक्त है ।
आवश्यकता इस बात की है कि चुनाव प्रणाली निष्पक्ष हो और जो दोष इसमें हैं, उन दोषों में सुधार व संशोधन अनिवार्य है । चुनाव की स्वस्थ परम्परा में निर्वाचन तन्त्र के दोषपूर्ण होने पर उसकी ईमानदारी सन्देहास्पद होगी; क्योंकि निर्वाचन आयोग ही हमारी निर्वाचन प्रक्रिया का मूलाधार है ।