
कोई आम बिमारी हो या वैश्विक महामारी, हमेशा हम अपनी तकलीफें लेकर डॉक्टर्स के पास जाते हैं. कई दफे, डॉक्टर्स के रवैये से कई मरीज़ दुखी भी हो जाते हैं लेकिन, जैसे तैसे इलाज करा ही लेते हैं. पर कोरोना वायरस के जांच करने और वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया में इसका विपरीत ही हो गया. क्यूंकि इस बार डॉक्टर्स अपने वी.आई.पी. मरीज़ों की तहज़ीब से ही तंग आ गए.
परिस्थिति यह हुई कि, डॉक्टरों की टीम ने देश के प्रधानमंत्री को अपना दुखड़ा सुनाते हुए चिट्ठी लिख डाली। तो चलिए देखते हैं क्या है पूरा मसला।
जिसमे उन्होंने लिखा है कि,” यह बड़े-बड़े राजनेता डॉक्टरों को ज़बरदस्ती अपने घर बुलाते हैं टेस्ट और ट्रीटमेंट के लिए. और उनके घरों में फ्रंट लाइन डॉक्टर्स के लिए कोई वंदुवस्त भी नहीं होता है.
डॉक्टरों की शिकायत है कि, बगैर किसी सुविधा के ही हमे उनके घर जा के उनका इलाज करना पड़ता है, जबकि उन्हें खुद अस्पताल आना चाहिए। साथ ही डॉक्टर्स ने अपनी बढ़ास उतारते हुए कह डाला कि, यह राजनेताओं ने ही अपनी मीटिंग्स, पार्टी और रैलियों से देशभर में कोरोना महामारी फैला रखी है.
बता दें, डॉक्टर्स की ग्रुप, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर वीआईपी कल्चर के खिलाफ अपनी शिकायतें की है. साथ ही डॉक्टरों का कहना है कि, राजनेताओं के पास तो चिकित्सकों के लिए कोई अलग से काउंटर भी नहीं है. जबकि, सरकारी अस्पतालों में बकायदा वीआईपी काउंटर बनाये गए हैं फिर भी वो हमे बुलाते हैं. हालांकि, अभी तक चिकित्सा अधीक्षक की तरफ से ऐसा करने का आधिकारिक तौर पर कोई निर्देश भी पारित नहीं किया गया है.