रक्षा मंत्रालय ने दी 22,800 करोड़ की हथियार खरीद को मंजूरी, नौसेना को मिलेगी मजबूती

रक्षा मंत्रालय ने दी 22,800 करोड़ की हथियार खरीद को मंजूरी, नौसेना को मिलेगी मजबूती

सत्यकेतन समाचार: रक्षा मंत्रालय ने 22,800 करोड़ रुपये की हथियार खरीद को मंजूरी दे दी है। इनमें छह पी 8आइ पनडुब्बी रोधी युद्धक जेट, स्वदेश निर्मित हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (अवॉक्स) विमान और अन्य सैन्य साजोसामान शामिल हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद की बैठक में हथियारों की खरीद को मंजूरी दी गई। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि पी 8आइ पनडुब्बी रोधी युद्धक जेट से नौसेना को बेहद मजबूती मिलेगी।

पी 8आइ से समुद्र तटीय निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्ध में नौसेना की स्थिति मजबूत होगी। इस समय नौसेना के पास आठ पी 8आइ लंबी दूरी समुद्री विमान हैं, जो तमिलनाडु में अरक्कोणम के निकट आइएनएस रजाली पर तैनात हैं। रक्षा खरीद परिषद ने दोहरे इंजन वाले भारी हेलीकॉप्टर की खरीद को भी मंजूरी दी है।

यह तटरक्षक बल को समुद्री आतंकवाद और समुद्री रास्ते से आतंकियों की घुसपैठ रोकने में मदद करेगा। इसके अलावा असॉल्ट राइफल के लिए थर्मल इमेजिंग नाइट साइट की खरीद को भी मंजूरी दी गई है। इससे सेना को सभी मौसम में रात के समय दूर स्थित लक्ष्य को देखने में सहायता मिलेगी।

अवॉक्स विमान
अवॉक्स विमान
  • क्या है  पी 8आइ अवॉक्स विमान ?

  1. पी-8आइ अवॉक्स विमान में हारपून, जमीन से हवा और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को ढोने और मार करने की क्षमता है। इसमें कुल मिलाकर नौ स्टेशन बनाए गए हैं जहां हथियार ले जाए जा सकते हैं। इनमें चार पंखों पर और पांच जहाज की बॉडी के नीचे फिट किए जा सकते हैं।
  2. पी-8 की काबिलियत का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी नौसेना ऐसे 117 जहाजों की आवश्यकता बता चुकी है। अभी तक बोईंग स अमेरिकी नौसेना 80 पी-8 खरीदने का सौदा कर चुकी है जिनमें से 47 की डिलीवरी की जा चुकी है।
  3. इस जहाज को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसे आपदा प्रबंधन और अन्य मानवीय आपदाओं के दौरान राहत के लिए भी इस्तेमाल लायक बनाया जा सकता है। सभी तरह के मौसम और ऊंचाई पर इस्तेमाल में सक्षम पी-8आइ ईंधन की दिक्कत होने पर हवा में रहते हुए ही ईंधन
    ले सकता है।
  4. भारतीय नौसेना ने अपने पी-8आइ की तैनाती फिलहाल हिंद महासागर में कर रखी है। हिंद महासागर में चीन की तरफ से बढ़ती नौसेनिकगतिविधियों के लिहाज से यह क्षेत्र भारतीय नौसेना के लिए काफी संवेदनशील मान जाता है।

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