नई दिल्ली, रितेशु सेन। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव (Councilor Election 2022) आने वाला है, जिसके चलते एक बार फिर सियासत गरमा गई है। दिल्ली के क्षेत्र-क्षेत्र में राजनीतिक तैयारियां चल रहीं हैं, वहीं भीतर ही भीतर आरोप-प्रत्यारोप की खिचड़ी भी पक रही है। इस, गरमाई सियासत के खेल का ख़ुलासा बरवाला गाँव में पूर्व निगम पार्षद मेमवती बरवाला एवं कांग्रेस नेता बलदेव बरवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर किया है।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, बरवाला गाँव में पूर्व निगम पार्षद, मेमवती बरवाला एवं कांग्रेस नेता बलदेव बरवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। उन्होंने मौजूदा निगम पार्षद अंजू देवी पर आरोप लगाते हुए कहा कि “किसी पर भी बे-बुनियादी आरोप लगाना गलत है”। उनका कहना है कि मौजूदा निगम पार्षद अंजू देवी ने जमीन कब्जा करने का आरोप लगाते हुए भद्दी टिप्पणी की है। जिसके स्पष्टीकरण के लिए ही प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था।
प्रेस कॉन्फरेंस में रखी गई बातें
कांग्रेस नेता, बलदेव बरवाला ने बताया कि उन्हें किस प्रकार से राजनीतिक रंजिशों का शिकार बनाया जा रहा है। बलदेव ने कहा कि, “जिस ज़मीन को लेकर आरोप लगाया जा रहा है, उसपर श्मशान घाट, क़ब्रिस्तान, हरिजन बस्तियाँ, वाल्मिकी कॉलोनी पहले से ही बसी हुई हैं”।
मेमवती बरवाला तथा बलदेव बरवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके स्पष्ट किया कि दिल्ली की तीसरी रिंग रोड में कोई बाधा नही है। ये कांग्रेस पार्टी का एक पुराना सपना है, जो साकार होगा। हालांकि ये तीसरा रिंग रोड बनने में आनंद विहार कॉलोनी जो एक अनाधिकृत कॉलोनी है, वह बाधा डाल रही है। इस पर हम सरकार से अपील करेंगे कि गरीब लोगों को गुमराह करके कुछ निर्दयी लोगों ने प्लाट बेच दिए हैं। उनकी पीड़ा का ध्यान रखा जाए।
क्या कहते हैं दस्तावेज़ ?
बलदेव बरवाला ने नक़्शे की पेशी करते हुए बताया कि “सड़क के पहले नक्शें में गाँव का करीब 31 बीघा जल श्रोत, श्मशान भूमि, हरिजन बस्ती, मंदिर, वाल्मीकि चौपाल है और गाँव का लाल डोरा उसके बीच में आ रहा था। जब गाँव वालों को यह मालूम पड़ा तो उन्होंने उपराज्यपाल को इस लाइन को बदलने के लिए पत्र लिखा। उपराज्यपाल ने इसकी जांच कराने के पश्चात साथ लगी कृषि भूमि, गाँव पूठ ख़ुर्द दिनांक 8/9/10 को अधिकृत करने का आदेश पारित कर दिया। लेकिन, इस ज़मीन को अधिकृत करने में आनंद विहार अनाधिकृत कॉलोनी का भाग भी रोड में आ गया। इसके बाद, निवासी कल्याण संघ (Resident Welfare Association) आनंद विहार ने शीर्ष अदालत में अर्ज़ी दर्ज करा दी”
बलदेव बरवाला ने आगे दस्तावेज़ पेश करते हुए बताया कि, “उन लोगों ने हाई कोर्ट से दिनांक 13/10/11 को इस सड़क का कोई और रास्ता निकालने की बात करते हुए दुबारा LG के पास जाने की पर्मिशन मांगी। उच्च न्यायालय के आदेश अनुसार, इन लोगों ने दुबारा LG के पास दरख्वास्त लगाई। जिसके बाद, एक बार फिर जांच बिठाई गई और उनकी अपील 4/5/16 को रिजेक्ट कर दी गई। उसके बाद, इस मसले को लेकर उन्होंने हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील की। जिसके बाद दिनांक, 26/7/17 को हाई कोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि वॉटर बॉडी एवं लाल डोरे को हम अस्तव्यस्त नहीं कर सकते। अंततः, उच्च न्यायलय ने उनकी अर्ज़ी ख़ारिज कर दी। लेकिन, मामला यहीं नहीं थमा, और वह लोग इस आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचे। और 10/1/18 को वहाँ भी उनकी अपील को रिजेक्ट कर दिया गया”
बलदेव बरवाला ने कहा कि, “बाद में, डीडीए ने उसमें से कुछ ज़मीन को अपने कब्ज़े में लेकर 28 मकान ध्वस्त कर 27/6/19 को सड़क विकास विभाग को सौंप दिया। इतना ही नहीं, निवासी कल्याण संघ के जनरल सेक्रेटरी, रामकरण पर नकली दस्तावेज़ों को लेकर शाहबाद डेरी थाने में एफआईआर भी दर्ज है” मालूम हो कि, इन दस्तावेज़ों में दिल्ली सरकार, डीएम, एसडीएम, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, उपराज्यपाल समेत अन्य शीर्ष अधिकारियों के आदेश भी शामिल हैं। बलदेव बरवाला ने कहा, इस भूमि से जुड़े सच्चाई की जानकारी सबको होनी चाहिए। निगम चुनाव आने में 3 माह रह गए हैं इसलिए पिछले मुद्दों को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। अंततः बलदेव बरवाला ने कहा कि ”अगली बार ऐसा कोई भी बेतुका-बे बुनियादी आरोप लगाया गया तो हम मान हानि का भी दावा कर सकते हैं। इसलिए किसी को भी गुमराह ना किया जाए और कार्यों को पारदर्शी रूप से किया जाया।