
Corona Virus, सत्यकेतन समाचार: कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए फ़िलहाल दुनिया के तमाम देशों के पास लॉकडाउन छोड़कर कोई दूसरा विकल्प नहीं दिख रहा।
लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोगों में निराशा और हताशा बढ़ती जा रही है।
अब दुनिया के तमाम देशों के सामने यह मुसीबत है कि लॉकडाउन को ख़त्म करें तो कैसे करें या फिर पूरी तरह से लॉकडाउन ख़त्म करने की जगह सिर्फ़ कुछ पाबंदियों को ख़त्म किया जाए। लॉकडाउन ख़त्म करने के साथ कोरोना के संक्रमण को नियंत्रित करने और लोगों को बचाने की भी चुनौती सरकारों के सामने होगी।
चीन ने हाल में वुहान में जारी लॉकडाउन को ख़त्म किया था लेकिन इसके बाद वहां संक्रमण के कई मामले सामने आए हैं जिसने अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है।
कोरोना से निपटने की लड़ाई लंबी होने वाली है। यह सिर्फ़ कुछ हफ्तों की बात नहीं लगती।
लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के डॉक्टर एडम कुचार्सकी ने बीबीसी से कहा, “हमारे पास निश्चित तौर पर बहुत अच्छे विकल्प मौजूद नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि एक ही दिन में सब कुछ बदल जाएगा, लेकिन चीज़ें सामान्य हो सकती हैं। ”
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लॉकडाउन हटाने का क्या है तरीक़ा?
लॉकडाउन के दौरान कौन सी पाबंदियां हम हटा सकते हैं?
कुछ ऐसी पाबंदियां हैं जिन्हें हटा लेने से बहुत बड़ा फ़र्क़ नहीं पड़ता।
डॉक्टर एडम कुचार्सकी कहते हैं, “कुछ गतिविधियां ऐसी होती हैं जिन्हें लेकर जोखिम कम होता है।”
वो बताते हैं कि पाबंदियों को तीन श्रेणियों में बांट सकते हैं। पहली तरह की पाबंदी, जिनमें कम जोखिम हो। दूसरी तरह की पाबंदी, जिनमें इससे थोड़ी ज़्यादा संभावना हो और तीसरे तरीक़े की पांबदी वो है जिनके नहीं होने से संक्रमण का ख़तरा बहुत बढ़ जाता है।
कम जोखिम वाली पाबंदी मसलन बाहर निकलकर कसरत करना। कुछ देशों में इस पर भी पाबंदी लगा दी गई है। दूसरी तरह की पाबंदियां जिन्हें हटाने पर विचार किया जा सकता है, वो हैं ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों की ख़रीदारी पर से रोक हटा देना या फिर घर से बाहर किसी मौक़े पर इकट्ठा होना।
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जो सबसे जोखिम वाली पाबंदियां हैं और जिनके ना रहने से संक्रमण के मामलों में इज़ाफ़ा तेज़ी से हो सकता है, वो है वर्क फ़रॉम होम को समाप्त करना, स्कूल-कॉलेज खोलना या फिर आइसोलेशन और क्वारंटीन को समाप्त करना।
लेकिन अब इनमें से तय करना एक मुश्किल काम है कि किन मामलों में किस हद तक पाबंदियों में छूट ली जा सकती है ताकि समाज और अर्थव्यवस्था को होने वाले नुक़सान को कम किया जा सके।