लॉकडाऊन के चलते प्रवासी मजदूरों को अपने घरों से दूर हो गए हैं। इसी कारण राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों को स्पेशल ट्रैन के जरिये उनके घर भेजने का फैला लिया हैं। जिसमे यात्रियों के ट्रैन का सभी खर्च राज्य सरकार देगी।
कोंग्रेस समेत कई विपक्षी दल केंद्र सरकार पर मजदूरों से किराया लेने की आलोचना क्र रही हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक ट्रैन के नाम से विशेष त्रिने चलाई गई जिसके किराए पर पूरा घमसान छिड़ गया। राजनीतिक बयानबाजी के बाद रेलवे के वह लेटर सामने आया जिसमे राज्य सरकारों से कहा गया है कि वो यात्रियों से टिकट का पैसा लें और वो पैसा रेलवे को दें।
2 मई के इस लेटर में रेलवे मंत्रालय ने प्रवासी मजूदरों, श्रद्धालुओं, यात्रियों, छात्रों और अलग-अलग जगह लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिये विशेष ट्रेन की व्यवस्था की बात की है। लेटर में कहा गया है कि जिस राज्य से भी ये विशेष ट्रेन छूटेंगी, राज्य सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई लिस्ट के हिसाब से रेलवे टिकट छापेगा और राज्य सरकार को देगा। इसके बाद ये टिकट स्थानीय प्रशासन यात्रियों को देकर उनसे किराया वसूलेंगे और पैसा रेलवे को सौंपा जायेगा।
क्या है पूरा विवाद
दरअसल, लगातार ये मांग की जा रही थी अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों या दूसरे लोगों को उनके घर जाने के इंतेजाम कराये जायें। राज्य सरकारें भी इसकी मांग कर रही थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों, श्रद्धालुओं, छात्रों समेत दूसरे फंसे लोगों को अपने-अपने गृहराज्य जाने की इजाजत दे दी थी। सराकर ने जब इसे लेकर गाइडलाइन जारी की तो राज्य सरकारों की तरफ से साफ कहा गया कि इतनी बड़ी संख्या में फंसे लोगों को बिना ट्रेन के नहीं लाया जा सकता है। इसके बाद फंसे लोगों के लिए श्रमिक ट्रेन चलाई गई। इन ट्रेनों से मजदूर अलग-अलग राज्यों से अपने घर पहुंच रहे हैं, लेकिन विवाद इस बात पर हो गया कि परेशानी का सामना कर रहे मजदूरों से टिकट का पैसा वसूला जा रहा है।
रेल टिकट का पैसा वसूलने का मुद्दा गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारों के अलावा कांग्रेस पार्टी व दूसरे विपक्ष दलों ने भी उठाया। कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को उठा रही है और मोदी सरकार को मजदूरों से किराया वसूलने पर घेर रही है। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे भी मजदूरों से किराया वसूलने के कदम की आलोचना कर चुके हैं। कांग्रेस ने तो एक कदम आगे बढ़कर अपने सभी प्रदेश संगठनों को बोल दिया है कि ऐसे मजदूरों के टिकट का पैसा वो अपने खाते से दें।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस मसले पर ट्वीट कर सरकार को घेरा है। प्रियंका गांधी ने कहा है कि जब रेल मंत्री पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रु दे सकते हैं तो फिर मजदूरों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते? हालांकि, बीजेपी कांग्रेस पर राजनीति करने के आरोप लगा रही है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि मजदूरों के टिकट का खर्च केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठा रही हैं।
हालांकि, रेलवे मंत्रालय का जो लेटर सामने आया है उसके प्वाइंट नंबर 11 में साफ-साफ लिखा गया है कि राज्य सरकारें अपने यहां से निकलने वाली ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को टिकट देकर उनसे किराया लें और वो किराया रेलवे को दें।
यात्रियों के गाइडलाइंस
भारतीय रेल ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन में यात्रा से जुड़े इस लेटर में गाइडलाइन भी लिखी हैं। लेटर में कहा गया है कि यह ट्रेन आम लोगों के लिये नहीं चलाई जा रही है बल्कि स्टेट जिसे चाहे वो इन ट्रेन में यात्रा कर सकता है। रेलवे ने ये कहा है कि श्रमिक ट्रेन में यात्रा करने वाले सभी यात्री पूरी तरह से कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क लगायेंगे और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करेंगे। ये भी कहा गया है कि श्रमिक ट्रेन कम से कम 500 किलोमीटर की दूरी के लिए चलेगी और इसमें 1200 यात्री सफर करेंगे। इसके अलावा यात्रियों के खाने-पीने की सुविधा की बात भी लेटर में की गई है।