
देश में कोरोना का हाहाकार मचा हुआ है, इसी बीच दिल्ली से एक नया मामला गर्मा उठा. इस मुद्दे में कोई और नहीं बल्कि, राजधानी के मुख्यमंत्री ही स्वम इल्ज़ाम के घेरे में आ गए हैं. और उनके खिलाफ दर्ज करा दी गई एफआईआर रिपोर्ट।
चलिए देखते हैं क्या है पूरा मामला और कौन है वो जिसने मुख्यमंत्री की गलतियों का पर्दा फ़ाश किया है
इस बार सत्ताहित पार्टी के नेताओं के जुर्मों को विपक्ष ने नहीं बल्कि दक्षिणी दिल्ली के एक वकील ने मुद्दे को भरी कचहरी तक घसीट दिया है. यहाँ पर बात हो रही है, साकेत के जिला न्यायालय के वकील, नरेंद्र शर्मा की. उन्होंने बीते 26 अप्रैल को मैदान गढ़ी पुलिस स्टेशन में धारा 188/34 आईपीसी, महामारी अधिनियम और डीडीएमए के अन्य प्रावधानों के तहत एक एफआईआर दर्ज कराई है. जिसमें उन्होंने लिखवाया है कि, “दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 20 अप्रैल को खुद यह सूचना दी थी कि उनकी धर्मपत्नी कोविड पॉजिटिव पाई गई हैं. जारी किए गए निर्देशों के अनुसार कोरोना संक्रमितों के परिवार और परिजनों को कम से कम 14 दिनों के लिए औरों से अलग थलग रहना होगा ताकि वे बीमारी न फैलाएं।”
साथ ही एडवॉकेट नरेंद्र शर्मा ने कहा कि, “जिस कायदे से मुख्यमंत्री केजरीवाल को 20 अप्रैल से 4 मई तक आईसोलेट रहना चाहिए था. बावजूद इसके, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बगैर औरों की परवाह किए छतरपुर के सरदार पटेल कोविड अस्पताल समेत अन्य जगहों का दौरा किया। और बड़ी बात यह है कि, श्री अरविन्द केजरीवाल की स्थिति से परिचित होने के बाद भी उनको ऐसा करने से नहीं रोका गया. और नहीं तो, मनीष सिसोदिया (दिल्ली के उप मुख्यमंत्री), सत्येंद्र जैन (विधायक और स्वास्थ्य मंत्री, डीएम (दक्षिण) अंकिता संघ अन्य लोगों ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के दौरे में उनका साथ दिया। इन सभी लोगों ने सरकार के निर्देशों का उल्लंघन किया है. इसलिए, उन सभी लोगों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज करें और उल्लिखित अधिनियमों के तहत कार्रवाई करें।”
बता दें, उन सभी अधिकारीयों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कराने की हिम्मत करने वाले नरेंद्र शर्मा नई दिल्ली के साकेत जिला न्यायालय के वकील हैं. ख़बरों के अनुसार वह उसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के चैंबर नं. 742 में बैठते हैं.