बस मार्शल अरुण कुमार ने 4 साल की बच्ची को किडनैपर से बचाया

दिल्ली: दिल्ली में एक बस मार्शल की बहादुरी का मामला सामने आया है, जिसके चलते एक 4 साल की मासूम बच्ची अगवा होने से बच गई। दिल्ली सिविल डिफेंस के वॉलिंटियर के अरुण कुमार (24 साल) की ड्यूटी रूट नंबर 728 की क्लस्टर बस में था। बुधवार सुबह करीब 10:45 बजे एक 16 -17 साल का एक शख्स एक 4 साल की बच्ची को लेकर पालम फ्लाईओवर से बस में बैठा. बस में बैठने के दौरान जब बच्ची रोने लगी तो अरुण कुमार को शक हुआ। अरुण कुमार ने उस शख्स से जाकर पूछा तो उसने दावा किया कि हां यह बच्ची उसकी है, लेकिन जब अरुण ने सख्ती से पूछा तो वह शख्स डर गया और भागने लगा। अरुण ने बस कंडक्टर और ड्राइवर की मदद से दरवाजे बंद करवा दिए और उस शख्स को पकड़कर दिल्ली कैंट पुलिस चौकी में ले गए और उसको गिरफ़्तार कराया।

मार्शल अरुण कुमार ने बताया जब उसे आरोपी पर शक हुआ और वह उसके पास गया तो उसको जरा सा भी डर नहीं लगा। हो सकता है वह शख्स हथियार लिए हो और हमला कर दे तो अरुण कुमार ने कहा ‘नहीं मुझे बिल्कुल डर नहीं लगा. बेशक हमारे पास कोई भी हथियार नहीं होता यहां तक कि डंडा भी नहीं होता।

दिल्ली सरकार की तरफ से अरुण को सम्मानित भी किया जाएगा. अरुण कुमार की हाल ही में 30 अक्टूबर को बतौर मार्शल कैर डिपो में तैनाती हुई थी और काम करते हुए महज 15 से 20 दिन ही हुए थे। जांच पड़ताल के बाद पता चला 4 साल की मासूम बच्ची मंगलवार से निजामुद्दीन इलाके से लापता थी। बच्ची के माता-पिता के माता पिता ने बच्ची के लापता होले की शिकायत निजामुदीन थाने में दर्ज कराई थी. बच्ची के अपहरण के चलते बच्ची के माता-पिता काफी ज्यादा परेशान थे। अरुण कुमार की सूझबूझ और बहादुरी के चलते उस मासूम बच्ची को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया गया।

  • सीएम अरविंद केजरीवाल ने दी बधाई

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं दिल्ली के बस मार्शलों को बधाई देता हूं कि दिल्ली की बसों को उन्होंने सुरक्षित किया है। बस मार्शल अरुण कुमार की तत्परता की वजह से दिल्ली से एक बच्ची का अपहरण होने से बच गया। बच्ची को अपने पास पाकर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था। बहादुरी दिखाने वाले मार्शल अरुण कुमार और कंडक्टर विरेंद्र पर मुझे गर्व है। अरुण से मैंने मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। साथ ही उन्हें बधाई दी। दिल्ली सरकार दोनों बहादुरों को सम्मानित करेगी। बसों में मार्शलों को नियुक्त करने के पीछे का हमारा मकसद यही था।

मार्शल ने जिस तरह से जान की परवाह किए बगैर बच्ची को अपहरणकर्ता के चंगुल से बचाया और बदमाश को सलाखों के पीछे पहुंचाया, वह काबिले तारीफ है। सिर्फ तीन सप्ताह में दिल्ली की बसों में तैनात मार्शलों ने कलस्टर बसों में दस पाकेटमारों को भी पकड़ा है। इससे उन क्षेत्रों में होने वाले अपराध में कमी आई है। मार्शलों की बहादुरी से अब अपराधी भी डरें हैं। इस घटना में बस में बैठी कई सवारियों ने भी आगे बढ़ कर अरुण की मदद की। अगर हम कहीं भी कोई गलत काम देखते हैं, तो सच्चा भारतीय और अच्छा नागरिक होने के नाते हमें आगे बढ़ कर पीड़ित की मदद करनी चाहिए। उन सभी सवारियों को भी सलाम जिन्होंने अच्छे भारतीय होने का उदाहरण पेश किया।

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