बवाना : दो भाइयों ने बनाई पहली स्वदेशी Automatic Brick Making Machine, एक घंटे में बिछाती है हजारों ईंटें

बवाना : दो भाइयों ने बनाई पहली स्वदेशी Automatic Brick Making Machine, एक घंटे में बिछाती है हजारों ईंटें

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नवीन कुमार, सत्यकेतन समाचार। राजधानी दिल्ली के बवाना इलाके में हरियाणा के सतीश चिकारा ने अपने भाई के साथ मिलकर अपनी कड़ी मेहनत के बल पर आत्मनिर्भर भारत अभियान के तरह एक ऐसी ऑटोमेटिक ईंट मेकिंग मशीन (Automatic Brick Making Machine) जो पूरी तरह से स्वदेशी है। यह मशीन एक घंटे में 12 हजार से अधिक ईंटें बना सकती है। जो एक मजदूर सिर्फ 80 से 100 ही बना पता है।

आप भारत के किसी भी शहर चले जाओ, वहां सिर्फ एक ही नजारा मिलता है बड़ी और ऊंची-ऊंची इमारतें और तेजी से बढ़ता डेवलपमेंट, लेकिन क्या आपको पता है इन बड़ी-बड़ी इमारतों का खड़ा करने के लिए साल भर में देश में 25 हजार करोड़ ईंटों की मांग होती है और सप्लाई हो पाती हैं सिर्फ सवा 8 करोड़ ईंटें। इस दायरे को कम करने और कम लागत में अधिक बनाने के समाधान के लिए हरियाणा के रहने वाले सतीश चिकारा ने विचार करना शुरू किया।

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लेकिन, किंतु, परंतु अब आप ये सोच रहे होंगे कि भाई सतीश के दिमाग में ईंटे बनाने का विचार ही क्यों आया और कोई काम क्यों नहीं ? तो चलिए आपके दिमाग पर बिलकुल भी जोर नहीं देते हुए बताते हैं।

दरअसल 2007 में सतीश ने एक ईंट के भट्टे में पार्टनरशिप शुरू की और उसमें उन्हें बहुत सा नुकसान हुआ। उस दौरान सतीश बहुत परेशान होने रहने लगे। काम में हो रहे नुकसान के बारे में गंभीरता से विचार करने लगा कि आखिर इतना नुकसान हो क्यों रहा है, और क्या कमी है रह गई, तो सतीश एक बात यह भी पाई की ईंटों को बनाने के लिए समय बहुत ही अधिक लग रहा है और मजदूरों की भी भारी कमी रहती है। बस फिर क्या था सतीश के मन में वहीं से शुरू हुआ कि अब एक ऐसी मशीन बनानी है जो इन सभी समस्याओं का समाधान कर सके। अब बस सभी यहीं बता दें किया। थोड़ी मेहनत आप भी करें नीचे तक पढ़ों कैसे-कैसे मशीन बनी और कितना फायदा दे रही है।

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सतीश चिकारा ने अपने भाई विलास चिकारा के साथ दिल्ली के बवाना में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तरह एक ऐसी ऑटोमेटिक ईंट मेकिंग मशीन (Automatic Brick Making Machine) जो पूरी तरह से स्वदेशी है। इस मशीन का खासियत है कि यह सिर्फ एक घंटे में 12 हजार से अधिक ईंटें बना सकती है जो एक मजदूर 80 से 100 ही बना पाता था। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि एक घंटे में 12 हजार ईंटें बनती हैं तो लागत भी कम आएगी और बचत भी अधिक होगी।

सतीश ने इस मशीन को फैक्ट्री ऑफ ब्रिक्स ऑन व्हील्स (Factory of bricks on wheels) का नाम दिया है। इस ऑटोमैटिक ईंट मेकिंग मशीन की कीमत 27 से 67 लाख तक तय की है। इस मशीन में एक जनरेटर, मिक्सर और ईंट बनाने के लिए एक मोल्ड है। ईंट बनाने के लिए ऑटोमेटिक ईंट मेकिंग मशीन में धान की भूसी, फ्लाई एश और मिट्टी को एक साथ मिलाया जाता है। इसके बाद कच्चे माल को कन्वेयर बेल्ट की मदद से मशीन ईंट को तैयार करती रहती है।

इस मशीन से बनी ईंटे पर्यावरण और आपकी जेब दोनों का ख्याल रखती है। ये मशीन सिर्फ ईंट बनाने का काम ही नहीं करती बल्कि साथ ही साथ ईंटे बिछाने का काम भी करती है। सतीश ने अभी तक इस मशीन को पाकिस्तान, नेपाल, उज्बेकिस्तान, बांग्लादेश सहित कई देशों में 250 से अधिक मशीनें बेची हैं। सतीश को इस काम के लिए भारत सरकार से नेशनल स्टार्टअप अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।