नवीन कुमार, सत्यकेतन समाचार। लोगों की पहचान के लिए आधार कार्ड (Aadhaar Card) सबसे महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट में से एक बन चुका है। किसी भी सरकारी योजनाओं या अन्य जरूरी काम के लिए इसका उपयोग होने लगा है। इसका उपयोग सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चों के लिए तेजी से होने लगा है। जिसे बाल आधार (Baal Aadhaar Card) का नाम दिया गया है। आधार कितना उपयोगी होता जा रहा है, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पिछले 4 महीनों में ही 79 लाख बच्चों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं। इसकी जानकारी सरकारी एजेंसी यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी कि यूआईडीएआई (UIDAI) ने दी है।
बाल आधार क्या होता है?
बाल आधार कार्ड (Baal Aadhaar Card) जन्म से 5 साल की उम्र के बच्चों का बनाया जाता है। यह कार्ड देश में चल रहे बाल आधार अभियान के तहत बनाए जाते हैं। इसके जरिये खाताधारक बच्चे और माता-पिता को कई सुविधाओं का फायदा होता है। बच्चों के लिए बनाए जाने वाले बाल आधार कार्ड में किसी तरह की बायोमेट्रिक डिटेल नहीं ली जाती है। माता-पिता के आधार से ही बाल आधार कार्ड जुड़ा होता है। बच्चा जब 5 साल से अधिक उम्र का हो जाता है तब पहली बार उसका बायोमेट्रिक अपडेट लिया जाता है। दूसरी बार बच्चों के 18 साल पूरे होने के बाद बायोमेट्रिक लिया जाता है। देखने में सामान्य आधार से बाल आधार अलग होता है। बाल आधार कार्ड का रंग नीला होता है। बाल आधार कार्ड पर ‘इसकी वैधता बच्चे के 5 साल की उम्र तक’ लिखा होता है।
यूआईडीएआई (UIDAI) के मुताबिक 31 मार्च, 2022 तक जन्म से 5 साल की उम्र के 2.64 करोड़ बच्चों के आधार बनाए गए थे। जुलाई 2022 तक यह आंकड़ा बढ़कर 3.43 करोड़ पर पहुंच गया है। देश में बाल आधार की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में जन्म से 5 साल तक के 70 प्रतिशत बच्चों का बाल आधार कार्ड बनाया जा चुका है।
बाल आधार कार्ड के लिए दस्तावेज
- बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट या सरकारी हॉस्पिटल में जन्म के बाद का जच्चा-बच्चा का डिस्चार्ज पेपर होना जरूरी है।
- बच्चे के माता-पिता में दोनों या किसी एक के आधार कार्ड की कॉपी देना जरूरी है।
- पांच साल से कम उम्र के बच्चे के माता-पिता को बाल आधार बनाने के लिए आधार सेवा केंद्र जाने पर आधार बनेगा।