Blood Bank : कोरोना की वजह से ख़ून की कमी से जूझते ब्लड बैंक

Blood Bank : कोरोना की वजह से ख़ून की कमी से जूझते ब्लड बैंक

Blood Bank : कोरोना की वजह से ख़ून की कमी से जूझते ब्लड बैंक
Blood Bank : कोरोना की वजह से ख़ून की कमी से जूझते ब्लड बैंक

Blood Bank, सत्यकेतन समाचार : पश्चिम बंगाल में ब्लड बैंक फ़िलहाल ख़ून की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं.

राज्य में मौजूद 108 ब्लड बैंकों में से 74 का संचालन सरकार के हाथों में हैं. इनमें 80 फ़ीसदी में विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक संगठनों और क्लबों की ओर से आयोजित किए जाने वाले रक्तदान शिविरों के ज़रिए ख़ून पहुंचता है.

लेकिन पहले 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के चलते लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर पाबंदी और उसके बाद कोरोना की वजह से जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के चलते इस महीने रक्तदान शिविरों का आयोजन ही नहीं किया जा सका है. इसके चलते अब स्थिति गंभीर हो गई है.

हालात गंभीर होते देख कर स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस सप्ताह इस बारे में एक नई अधिसूचना जारी कर रक्तदान शिविरों के सशर्त आयोजन की अनुमति दी है. लेकिन इससे भी हालात में कोई ख़ास सुधार नहीं आया है.

सरकार की ओर से जारी सर्कुलर के अगले दिन से ही पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से समस्या और गंभीर हो गई है.

इससे एक ओर जहां थैलेसेमिया के मरीज़ों को दिक्कत का सामना करना पड़ा रहा है वहीं कई ऑपरेशनों को भी टालना पड़ रहा है.

ख़ून की कमी से परेशान होते मरीज़
राज्य में गर्मी के दिनों में रक्तदान शिविरों के ज़रिए जमा होने वाले ख़ून की मात्रा में लगभग 40 फ़ीसदी गिरावट दर्ज होना सामान्य है.

लेकिन पहले इस महीने बोर्ड की परीक्षाओं के चलते इन शिविरों का आयोजन नहीं किया जा सका. उनके ख़त्म होने से पहले ही कोरोना का संक्रमण तेज़ी से फैलने लगा. उसकी वजह से जारी लॉकडाउन ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी है.

कोलकाता के लाइफ़लाइन ब्लड बैंक के निदेशक ए. गांगुली बताते हैं, “पश्चिम बंगाल में हर महीने एक लाख यूनिट ख़ून की ज़रूरत होती है. लेकिन इस महीने इसका कलेक्शन बहुत घट गया है. इसकी वजह से लोगों को कई ऐसे ऑपरेशनों की तारीख आगे बढ़ा दी गई है जिनको टाला जा सकता था.”

गैर-सरकारी संगठन मेडिकल बैंक के सचिव डी. आशीष बीते चार दशकों से रक्तदान शिविरों का आयोजन करते रहे हैं. वह कहते हैं, “ज़िलों में तो हालत और गंभीर है. कोलकाता में भी मरीज़ों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.”

महानगर के एक अस्पताल में दाख़िल अपनी मां के ऑपरेशन के लिए बांकुड़ा के सुबीर भादुड़ी को चार यूनिट ख़ून की ज़रूरत थी. उनके पास डोनर भी थे. लेकिन उनको ब्लड बैंक से मां गे ग्रुप का खून नहीं मिल सका.

नतीजतन डाक्टरों की सलाह पर अब वह ऑपरेशन 15 अप्रैल तक टल गया है. नियमों के मुताबिक़ किसी भी मरीज़ को जितना ख़ून चाहिए उसके परिजनों को उतना ही ख़ून दान करना पड़ता है. उसके बाद उसी आधार पर उसे संबंधित ग्रुप का ख़ून मुहैया कराया जाता है.

स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य कहती हैं, “सरकार परिस्थिति पर निगाह रख रही है. कोरोना वायरस का संक्रमण तेज़ होने के बाद हमने रक्तदान शिविरों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से फ़िलहाल ऐसे शिविरों का आयोजन नहीं हो पा रहा है.”

 

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