नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें और अफवाहें फैलाने वालों को अब जेल जाना पड़ सकता है। दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति ने फैसला किया है कि सोशल मीडिया के जरिए फर्जी खबरें और अफवाहें फैला कर दो समुदायों के बीच नफरत, घृणा और दुश्मनी फैलाने वालों को अब 3 साल की सजा होगी। समिति ने दिल्ली में हुए दंगे के मद्देनजर यह फैसला लिया है। समिति हायर की जा रही एक एजेंसी की मदद से सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही फर्जी खबरों की जांच कराएगी और आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कराएगी। साथ ही समिति ने सोशल मीडिया पर ऐसी फर्जी खबरें फैलाने वालों की जानकारी देने वाले व्यक्ति को पुरस्कृत भी करेगी।
इसके लिए मंगलवार को एक ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर जारी किया जाएगा। दिल्ली में हुए दंगे के दौरान अपने धर्म व मजहब की दीवार तोड़ कर दूसरों की मदद करने वालों को भी सम्मानित करने पर विचार किया है। दिल्ली में हुए दंगों की वजह जानने और उस पर रोकथाम के लिए दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति (पीस एंड हारमनी कमिटी) का गठन किया गया है। समिति दिल्ली में हुए दंगों का कारण पता लगा रही है और इस तरह के दंगों पर कैसे रोक लगाई जाए, इस पर काम कर रही है।
कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज को इस समिति का चेयरमैन बनाया गया है, जबकि अब्दुल रहमान, अजय कुमार महावर, अतिशी, बीएस जून, जरनैल सिंह, दिलीप पांडेय, कुलदीप कुमार और राघव चड्ढा को सदस्य बनाया गया है। सोमवार को दिल्ली विधानसभा में समिति की पहली बैठक दोपहर 3 बजे सम्पन्न हुई, जिसमे कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए चेयरमैन सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के अंदर सोमवार को एक नई समिति का गठन हुआ है, जिसका नाम शांति एवं सद्भाव समिति है।
समिति की सोमवार दोपहर तीन बजे बैठक हुई है। जिसमें समिति के सभी सदस्यों ने भाग लिया है। कमिटी के अंदर चर्चा हुई कि क्या कारण हैं, जो इस तरह के दंगे-फसाद देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे हैं। दिल्ली में भी इस तरह के फसाद देखे गए हैं। सभी सदस्यों ने चर्चा की कि बहुत सारे मामलों में देखा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खासतौर पर ट्वीटर, फेसबुक और वाट्सऐप पर बड़े स्तर पर घृणा और नफरत फैलाने वाले मैसेज भेजे जाते हैं।
अक्सर वह मैसेज फर्जी होते हैं। फिर भी लोग एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे व्यक्ति तक फैलाते रहते हैं। इसके कारण समाज और समुदायों के बीच दुश्मनी की भावना बढ़ रही है। हमारे देश में दो समुदायों के बीच नफरत फैलाना अपराधिक कानून के अंर्तगत जुर्म हैं। इसके अंर्तगत जुर्माना और सजा का प्रावधान है।
- सोशल मीडिया पर दो समुदायों में नफरत फैलाने वालों की दें जानकारी- सौरभ भारद्वाज
समिति के चेयरमैन सौरभ भारद्वाज ने कहा कि विधानसभा की कमिटी ने सोशल पर इस तरह के फर्जी मैसेज वायरल करने पर चर्चा की और कुछ फैसले लिए। कमिटी लिए गए फैसले को बड़े स्तर पर प्रचारित करेगी। अब अगर आप कोई भी खबर जो किसी दो समुदायों के बीच नफरत या दुश्मनी फैलाता है, जिसे फारवर्ड करते हैं या री-ट्वीट करते हैं या फेसबुक पर शेयर करते हैं, तो आपको तीन साल की सजा हो सकती है।
कमिटी के इस फैसले को टीवी, अखबारों और सोशल मीडिया के जरिए प्रचारित किया जाएगा। चेयरमैन सौरभ भारद्वाज ने लोगों से अपील करते हुए कहा कहा कि जो भी व्यक्ति वाट्सऐप ग्रुप या फेसबुक आदि पर इस तरह का मैसेज देखता है, तो वह उसका स्क्रीन शाॅट लेकर विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति को भेजे। हम इसके लिए एक ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर जल्द ही जारी करेंगे। इस तरह की जो भी शिकायत समिति के पास आएंगी, समिति उसकी जांच करेगी।
जांच के बाद अगर यह पाया जाएगा कि उसके अंदर कोई अपराध बन रहा है, तो उसे लाॅ इंफोर्समेंट एजेंसी को भेजा जाएगा और उस व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। समिति इस मामले में सुझावों के लिए कुछ लोगों की मदद भी लेगी। जैसे, समिति अपने पास एक लीगल एक्सपर्ट की टीम रखेगी। जो भी कंटेंट समिति के पास आएंगे, उस कंटेंट को देख कर एक्सपर्ट बताएंगे कि इसके अंदर कोई अपराध बन रहा है या नहीं बन रहा है।
समिति अपने लिए एक एजेंसी भी हायर करेगी, जो तथ्यों की जांच करेगी, क्योंकि बहुत सारी एजेंसियां हैं, जो काफी अच्छा काम कर रही हैं और देश के अंदर उनकी बहुत प्रसिद्धि है। जो किसी भी खबर के बारे में तथ्यों के आधार पर बताते हैं कि वह खबर असली है या नकली है। इस तरह की एक एजेंसी को चिंहित कर हम उसकी सेवा लेंगे। ताकि समिति को पता चले कि नकली खबर कौन फैला रहा है और किस तरह से यह फैल रही है।
- समिति लेगी सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों की मदद
समिति ने फैसला लिया है कि हम कुछ सेवानिवृत्त पुलिस के आला अधिकारियों को समिति के अंदर उनकी सेवा लेंगे, क्योंकि उनके पास भी कानून का अच्छा लंबा अनुभव होता है। सेवानिवृत्त अधिकारी समिति को राय देंगे कि कैसे किन मामलों में जो लोग गड़बड़ी व घृणा फैला रहे हैं, उनको किस तरह से सजा दी जाए।
समिति कें सदस्यों ने खुद इस तरह के कुछ घटनाओं को भी साझा किया है। जिसमें हिन्दू और मुस्लिम, दोनों ही समुदायों के सोशल मीडिया के ग्रुप के अंदर इस तरह के शरारती तत्व हैं, जो झूठी खबरों को अक्सर और आदतन बार-बार डालते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी ने हमें बताया कि कहीं पर बहुत साल पहले कोई मस्जिद टूटी है, उसका बार-बार अलग-अलग नामों से प्रचारित किया जाता है कि देखिए परसो बैंगलूरू के अंदर कुछ हो गया, देखिए कल हरियाणा के अंदर कुछ हो गया।
इसी तरह, कहीं पर किसी मुस्लिम देश के अंदर कोई हिंसा होती है, तो उसको भी अपने देश की हिंसा बता कर अक्सर सोशल मीडिया के ग्रुप पर डाला जाता है और कहा जाता है कि देखिए, हिंदू के साथ यह हिंसा बहुत घृणित कार्य हो गया। समिति के सदस्यों ने बताया कि इस तरह के मैसेज सोशल मीडिया के ग्रुप में आते हैं। जिस आरडब्ल्यूए के वाट्सऐप ग्रुप के अंदर लोग विकास को लेकर चर्चा करते हैं, वहां पर भी इस तरह के फर्जी मैसेजे आते हैं, जो बहुत समान्य हैं। समिति ने अफवाह फैलाने पर चर्चा की कि कैसे सोशल मीडिया और फिजिकली भी अफवाहें फैलाई जाती हैं। रविवार को फैलाई गई अफवाह फैलाई गई कि जगह-जगह दंगे हो रहे हैं, जबकि यह झूठ पाया गया।
- वाट्सेप, फेसबुक व ट्वीटर के अधिकारियों से ली जाएगी मदद
चेयरमैन सौरभ भारद्वाज ने कहा कि समिति के पास एक सुझाव आया है कि जो लोग फर्जी खबरें या अफवाह फैलाने वालों की जानकारी देंगे, समिति उनको पुरस्कृत करेगी। उनको कुछ इनाम राशि देकर उन लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इनाम राशि अभी तय नहीं है। हालांकि समिति के कुछ सदस्यों ने इनाम राशि 10 हजार रुपये करने की सिफारिश की है। एक और सुझाव आया कि दिल्ली में हुए दंगों के दौरान ऐसे भी बहुत सारे लोग थे, जिन्होंने दूसरे लोगों की मदद की। ऐसे बहुत सारे उदाहरण सामने आए हैं।
समिति का मानना है कि ऐसे फरिश्ते, जिन्होंने अपनी मजहब की दीवार को गिरा कर दूसरे लोगों की मदद की, उन लोगों को भी सम्मानित करने की सिफारिश समिति को करनी चाहिए। इसके अलावा समिति के पास एक और प्रस्ताव आया है कि वाट्सऐप, फेसबुक और ट्वीटर जैसी बड़- बड़ी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की जाए कि विधानसभा की समिति और इस देश की वो कैसे मदद कर सकते हैं।
इस तरह के मैसेज फैलाने की जो प्रक्रिया है, उस पर कैसे रोक लगाई जा सकती है। हमारी कोशिश है कि यह लोग भी हमारी मदद करें। विधानसभा की शांति एवं सद्भाव समिति मंगलवार को दोपहर 3 बजे बैठक करेगी और पहली बैठक में लिए गए फैसले पर चर्चा कर आगे की रणनीति तैयार करेगी।