नाटक पूस की रात ने बयां किया किसानों का दर्द

The night of drama Pus told the pain of farmers

नई दिल्ली, सत्यकेतन समाचार। तीसरे नोएडा रंग महोत्सव में मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित नाटक “पूस की रात” के मंचन से दर्शक हुए भाविभोर। इस नाटक में एक गरीब किसान की समस्याएं और दुःख बड़े ही अनूठे अंदाज में दिखाए गए है। एक किसान के लिए खेती ही उसका सब कुछ होता है खेती ही उसका सबसे बड़ा सहारा होता है।

खेत को देखकर ही वो खुश होता है, और खेत को देखकर ही वो दुःखी होता है। ठंड हो, गर्मी हो, बरसात हो किसान अपने खेत के लिए हमेशा समर्पित रहता है इस नाटक में यह भी दिखाया गया कि एक गरीब किसान किन-किन समस्याओं से जूझकर खेती करता है और फिर अंत में किसी तरह उसकी फसल बर्बाद हो जाती है तो उसे कितना दुःख होता है। इस नाटक में जहां एक ओर किसान का दर्द, किसान का दु:ख झलक रहा था वहीं दूसरी ओर इस नाटक को संगीतमय बनाकर नाच और गाने के साथ दर्शकों का मन मोह लिया।

उत्तर प्रदेश की नौटंकी शैली को छूते हुए इन्होंने नाटक को संगीतमय बनाया। जिसे दर्शकों की खूब सराहना मिली इस नाटक की मुख्य भूमिका में श्याम सुंदर विश्वकर्मा (हल्कू) के किरदार में और सान्या राज उनकी पत्नी (पर्वतीया) के किरदार में थे। निर्देशक मिलन सत्र समारोह में रंगमंच पर चर्चा हुई। जिसमें युवा निर्देशक होने के नाते उन्होंने बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया। उन्होंने किसानों के दर्द को रंगमंच के कलाकारों के दर्द से भी जोड़ा। आशा और उम्मीद के साथ अपनी बात रखी।

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