नई दिल्ली, AIIMS budget। भले ही केंद्र सरकार ने अपने बजट में नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की घोषणा की हो, लेकिन देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान एम्स को इस बार बजट में नुकसान हुआ है। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए एम्स का बजट 3489.96 करोड़ रु तय किया है। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में ये बजट 3599.65 करोड़ रु था। एम्स के बजट में इस हिसाब से इस बार करीब 109 करोड़ 69 लाख रु की कमी आई है। ये र्स्थति तब है जब एम्स नए मास्टर प्लान के तहत विकास कार्यों में जुटा है।
एम्स परिसर में कई ऐसे ब्लॉक हैं जिनके अगले 1 से 2 वर्ष में शुरू होने के आसार हैं और इसका सीधा असर मरीजों की चिकित्सा पर पडने वाला है। एम्स प्रबंधन का कहना है कि राष्ट्रीय निवेश कोष के लिए एम्स ने 6 गुना ज्यादा खर्च करने की योजना बनाई है। पिछले वित्तयी वर्ष में ये खर्च 290 करोड़ रु थे जिसे अब 1256.91 करोड़ रु रखा है। वैश्विक स्तर के बुनियादी ढ़ांचे को लेकर एम्स ने हेफा (उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी) के तहत लोन लिया था। इसी लोन में एम्स करीब 97 करोड़ रु की ब्याज पर खर्च करेगा।
एम्स के अलावा सफदरजंग का बजट इस बार 1211.50 से बढ़ाकर 1318.86, आरएमएल का 750 से 885.60, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज का 475 से 502.44 और कलावती अस्पताल का 124.90 से बढ़ाकर 136.75 करोड़ रु तय किया है। सरकार ने देशभर के चिकित्सीय शिक्षा संस्थानों पर खर्च की योजना में भी बजट किया है। पिछली बार सरकार ने 8304 करोड़ रु खर्च करने की योजना बनाई थी जिस पर 8412 करोड़ रु खर्च किया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार 7820.33 करोड़ रुपये खर्च करना प्रस्तावित है।
एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सालाना बजट में कर्मचारियों के वेतन और अन्य चिकित्सीय सुविधाओं के अतिरिक्त बुनियादी ढ़ांचे के विकास पर लगाया जाता है। पिछली बार इतना ही बजट लगभग व्यय हुआ जितना कि इस बार प्रस्तावित है। चूंकि एम्स परिसर में पहले से ही बुनियादी ढ़ांचों के निर्माण पर कार्य चल रहा है जिनका बजट पहले से ही आवंटित हो चुका है। इसी के तहत ओपीडी ब्लॉक तैयार किया है जोकि आगामी 10 फरवरी को मरीजों के लिए शुरू होगा।
वहीं सफदरजंग अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि वार्षिक बजट में बढ़ोत्तरी बेहद जरूरी है। हर बार उनके अस्पताल को हांशिए पर रखा जाता है। जबकि एम्स का पूरा भार सफदरजंग ही ले रहा है। यहां के डॉक्टर रिसर्च और शिक्षा पर फोकस नहीं कर पाते हैं। सरकार को चिकित्सीय रिसर्च का बजट बढ़ाना चाहिए और अस्पताल में बुनियादी सेवाओं के लिए भी पर्याप्त बजट होना चाहिए।