नई दिल्ली। भारत में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर हुए सियासी घमासान के बीच जारी प्रदर्शनों के दौरान सरकार ने सुरक्षा के मद्देनजर कई कदम उठाए उनमें मोबाइल पर अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए प्रशासन ने बहुत-सी जगहों पर इंटरनेट को प्रतिबंधित करवा दिया। इसने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। आइये जानते हैं टेलीकॉम कंपनियों को कितना नुकसान उठाना पड़ा है।
डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक समूह के अनुसार भारतीय मोबाइल ऑपरेटरों को सीएए और एनआरसी को लेकर इंटरनेट बंद होने से प्रति घंटे 2 करोड़ 45 लाख रुपये का नुकसान हुआ। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सरकार ने इंटरनेट बंद करने के आदेश दिए थे। शोध के मुताबिक जुलाई 2015 से जून 2016 के मध्य टेलीकॉम कंपनियों को इंटरनेट बंद होने से करीब 96 करोड़ का नुकसान हुआ।
भारत में मोबाइल उपभोक्ताओं को दुनिया में सबसे सस्ता डाटा मिलता है। कीमतों की तुलना करने वाली एक वेबसाइट के मुताबिक भारत में एक जीबी डाटा की कीमत 0.26 डॉलर यानी करीब 18.57 रुपये बैठती है। अमेरिका में एक जीबी डाटा की कीमत 12.37 डॉलर (883.56 रुपये) और ब्रिटेन में 6.66 डॉलर (475.71 रुपये) और वैश्विक औसत 8.53 डॉलर (609.28 रुपये) है।
देश में छोटे बच्चों से बुजुर्गों तक हर किसी के पास मोबाइल है और मोबाइल में है इंटरनेट। मोबाइल आज जरूरत बन चुका है, लेकिन असामाजिक तत्वों के चलते यही मोबाइल समाज के लिए अभिशाप भी बन जाता है। ऐसे लोग अफवाहों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और फिर देखते ही देखते यह अफवाहें जनमानस के दिमाग में रच-बस जाती हैं।
- पाकिस्तान और सीरिया से आगे
देश में इंटरनेट बंद करने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जनवरी 2016 से मई 2018 के मध्य भारत में सरकारी आदेश पर 154 बार इंटरनेट बंद हुआ। इस फेहरिस्त में पाकिस्तान, इरान, सीरिया, तुर्की जैसे देश भारत से बहुत पीछे हैं। वहीं 2012 से अब तक इंटरनेट के बंद होने के 374 मामले सामने आ चुके हैं। हालिया उदाहरण उत्तर प्रदेश का है। जहां पर सीएए और एनआरसी के विरोध के कारण इंटरनेट बंद करना पड़ा। यहां तक की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी कुछ इलाकों में इंटरनेट बंद किया गया।
सरकारी स्तर पर इंटरनेट को बंद करने के लिए बाकायदा कानून मौजूद है। टेंपरेरी सस्पेंशन ऑफ टेलिकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी ऑर पब्लिक सेफ्टी) रूल्स 2017 के तहत अधिकारी टेलिकॉम कंपनियों को इंटरनेट बंद करने का ऑर्डर दे सकता है। हालांकि यह अधिकारी केंद्र या राज्य सरकार में संयुक्त सचिव स्तर से नीचे नहीं होना चाहिए।