
सत्यकेतन समाचार: वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा, इसी साल जुलाई में डीडीसीए के अध्यक्ष बने थे। रजत शर्मा का क़रीब 20 महीने का कार्यकाल काफ़ी उतार-चढ़ाव भरा रहा। इस दौरान जनरल सेक्रेटरी विनोद तिहारा से उनके सार्वजनिक तौर पर मतभेद रहे।
रजत शर्मा ने एक बयान में कहा, “यहां क्रिकेट प्रशासन हर समय खींचतान और दबाव से भरा होता है। मुझे लगता है कि निहित स्वार्थ हमेशा क्रिकेट के हित के ख़िलाफ़ सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।” डीडीसीए ने रजत शर्मा के इस्तीफ़े की जानकारी ट्वीटर पर दी. रजत शर्मा ने भी ट्वीटर पर बताया है।
https://twitter.com/RajatSharmaLive/status/1195588604010958848?s=19
रजत शर्मा ने कहा, “ऐसा लगता है कि डीडीसीए में सच्चाई, ईमानदारी और पारदर्शिता के मेरे सिद्धांतों के साथ चलना संभव नहीं है, जिससे मैं किसी भी क़ीमत पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं हूं।” उन्होंने संस्था में “कई तरह के दबावों के बीच” पद पर बने रहने में असमर्थता जताई है।
डीडीसीए के अध्यक्ष पद पर रहते हुए रजत शर्मा ने फिरोजशाह कोटला का नाम बदलकर अरुण जेटली स्टेडियम रखने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद स्टेडियम का नाम बदला भी गया।
कहा जाता है कि रजत शर्मा और दिवंगत पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली अच्छे दोस्त थे और अरुण जेटली के सहयोग से वो क्रिकेट प्रशासन में शामिल हुए।
डीडीसीए के कई अंदरूनी लोगों का कहना है कि अरुण जेटली के निधन के बाद डीडीसीए में शर्मा की पकड़ कमज़ोर हो गई थी।